5 रणरागिनियों की हुंकार से हिली सरकार। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
चंद्रपुर: “जब इरादे फौलादी हों तो बदलाव तय होता है!” चंद्रपुर की पांच सामाजिक संस्थाओं शिवाई, भीमाई, विठाई, इराई और वृक्षाई ने ये सच कर दिखाया है। इन महिलाओं की एकजुट आवाज ने राज्य सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया, और परिणामस्वरूप डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की जयंती (14 अप्रैल) पर पूरे महाराष्ट्र में शराबबंदी लागू की गई।
इन संस्थाओं की प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्रियों, सभी प्रमुख राजनीतिक नेताओं और सामाजिक संगठनों को ईमेल और निवेदन पत्र भेजकर दो टूक कहा, “जब सरकार खुद इन महापुरुषों की जयंती पर कार्यक्रम कर रही है, सार्वजनिक छुट्टियाँ दे रही है – तब ऐसे पवित्र दिनों को शराब जैसे नशे से कलंकित नहीं किया जाना चाहिए।” इन महिलाओं का कहना है कि जयंती के दिन शराब पीकर असामाजिक तत्व जो अशांति फैलाते हैं, उससे महापुरुषों की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचती है। इस मांग को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार ने 2025 की आंबेडकर जयंती पर शराब बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया। इसे सामाजिक चेतना की बड़ी जीत माना जा रहा है।
अगला लक्ष्य: 19 फरवरी 2026 छत्रपती शिवाजी महाराज जयंती अब ये पांचों संस्थाएं मांग कर रही हैं कि अगले वर्ष 19 फरवरी 2026 को शिवजयंती के अवसर पर भी पूरे महाराष्ट्र में शराबबंदी लागू की जाए। यह उनका संदेश साफ है।
इरई नदी बचाव आंदोलन: 22 मार्च 2006 से अब तक “इरई कन्याओं” ने सिर्फ शराबबंदी की मुहिम नहीं चलाई, बल्कि मृतप्राय हो चुकी इरई नदी को पुनर्जीवित करने का भी संकल्प लिया। इनके नेतृत्व में शुरू हुए आंदोलन के चलते प्रशासन 25 अप्रैल 2025 से खोलीकरण (डीपिंग) का कार्य शुरू करने को बाध्य हुआ।
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“ईमानदारी से काम करोगे तो साथ देंगे, भ्रष्टाचार करोगे तो विरोध झेलो!” अब राज्यभर की महिला और सामाजिक संगठन इनकी सम्मान सभाएं आयोजित करने की योजना बना रहे हैं। पांच महिलाओं की एकजुट पुकार ने न सिर्फ शराबबंदी लागू करवाई, बल्कि यह साबित कर दिया कि अगर सोच साफ हो और इरादे बुलंद हों, तो सरकारें भी सुनती हैं। अब पूरे महाराष्ट्र की निगाहें शिवजयंती पर हैं।
चंद्रपुर की जीवनदायिनी इरई नदी – जो लगभग मृतप्राय हो चुकी थी, को बचाने के लिए शिवाई-भीमाई-विठाई-इराई-वृक्षाई ये पांचों सामाजिक संस्थाओं की कर्मठ महिलाएं “इरई कन्या” बनकर, 22 मार्च 2006 से “इरई बचाव जनआंदोलन” के बैनर तले लड़ाई लड़ रही हैं। इसके परिणामस्वरूप प्रशासन को 25 अप्रैल 2025 से नदी का गहरीकरण शुरू करना पड़ा है। उन्होंने स्पष्ट कहा है – “अगर ईमानदारी से गहरीकरण किया, तो साथ देंगे; अगर भ्रष्टाचार किया, तो विरोध करेंगे।”
शिवाई की गीता अत्रे, भीमाई की दीक्षा सातपुते, विठाई की माधुरी काहीलकर, इरई बचाव जनआंदोलन की प्रतिभा कायरकर, और वृक्षाई पर्यावरण संस्था की भूमिका (भूमि) कायरकर – इन पाँचों संस्थाओं की अनेक महिला रणरागिनियों के सत्कार के लिए कई महिला संगठन, सामाजिक और राजनीतिक संस्थाएं कार्यक्रम आयोजित करने का विचार कर रही हैं। यह उनके संघर्ष और सामाजिक कार्य को और बल प्रदान करेगा।