दुर्गापुर खदान के वर्कशॉप का दृश्य (फोटो नवभारत)
Coal India Durgapur Mine News: कोल इंडिया की दुर्गापुर खदान में फिलहाल समस्याओं का अंबार है जिसके चलते कोयला कर्मियों को कार्यस्थल पर कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ वेकोलि सामाजिक दायित्व के तहत खदान परिसर के पास के लोगों और गावों पर करोड़ों खर्च करती है, वहीं अपने यहाँ कार्य करने वाले कामगारों के कार्य स्थल और कॉलोनियों की समस्याओं पर अनदेखी करती है।
कोयला कर्मियों की समस्याओं से अवगत कराने के लिए राष्ट्रीय कोयला खदान मजदूर संघ(इंटक) के महासचिव के के सिंह ने कोयला मंत्री रेड्डी को पत्र लिखा है। पत्र में दुर्गापुर खदान अंतर्गत विविध समस्याओं की ओर ध्यानाकर्षित किया गया है।
सेक्टर 2 पंप सेक्शन के कामगारों को कार्यस्थल पर झाड़ियों के बीच से होकर जाना पड़ता है। इस परिसर में जंगली जानवरों बाघ, तेंदुआ, भालुओं की बहुतायत है। इससे कामगारों को जान का खतरा बना रहता है। पुराने टाईम ऑफिस के पास पुरुषों के लिए बनाए गए शौचालय में लाईट और पानी की व्यवस्था नही है। मतलब उसका उपयोग नही हो सकता है। फिल्ड में कार्यरत महिलाओं को बाहर में खुले में शौच हेतु जाना पड़ता है।
पुराने टाईम ऑफिस स्थित रेस्ट शेल्टर में सालों से रोशनी नही है, गंदगी इतना ज्यादा है कि इंसान जा ही नही सकता। पुराने टाईम ऑफिस के पास जहां पानी पिने का स्थान है, वहां गंदगी है। पीसी-डोजर वर्कशॉप शेड के पास कचरा और झाड़ियों के कारण जंगल सी स्थिति निर्माण हो गई है ,जहा जंगली जानवर आते है, जिससे कर्मचारियों की जान असुरक्षित है।
खदान में रेस्ट शेल्टर, ब्लास्टिंग शेल्टर, ट्रिप मैन, सुपरवाईजर शेल्टर के नाम पर 4 बाई 4 का 6 फिट उंचा एक लोहे का पिंजरा बना दिया गया है जिसमें बैठने या पानी की कोई व्यवस्था नही है। बारिश में कांटा घर के अन्दर 1 फुट से अधिक पानी भर जाता है, बाहर में 2 से 3 फुट पानी जमा होता है। उपक्षेत्रीय कार्यालय में डस्टबिन नही है।
कचरा यूं ही बाहर बिखरा रहता है। 120 से अधिक महिलाए कार्यरत है, परन्तु उनके लिए ना तो चेंजिंग रूम है और नही कोई सुविधा केंद्र है। उनके लिए कोई रेस्ट शेल्टर भी नही। ई एन्ड एम कार्यालय का सीलिंग और शेड बनने के कुछ ही दिनों में उड़ गया, बावजूद ठेकेदार पर कोई जुर्माना नही लगा ना ही उन अधिकारियों पर कोई कार्यवाई हुई है।
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सीमेंट रोड जिसपर एक भी वाहन नहीं चलता है वह बगैर उपयोग के तीन में ही उखड गया। इसी प्रकार का दर्जनों छोटी बड़ी समस्या है जिसे पांच वर्षों से इंटक नेता के के सिंह प्रबंधन को ध्यान आकर्षित करती रही है। परन्तु उसपर कोई कार्यवाही नहीं हुई।
इस कारण मजबूरन कोयला मंत्री रेड्डी को पत्र भेजकर दुर्गापुर खदान का हाल बताया गया है। जिसकी प्रतिलिपि- विक्रम देवदत्त, कोयला सचिव, नई दिल्ली पीएम प्रसाद, अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक कोल इंडिया लिमिटेड कोलकाता, विजय रंजन, निदेशक (मानव संशाधन), कोल इंडिया, कोलकाता, प्रतिभा सुरेश धानोरकर, सांसद, चंद्रपुर-वणी-आर्णी संसदीय क्षेत्र एंव स्थाई समिति सदस्य (कोयला एंव इस्पात), अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक, वेकोली, कोल इस्टेट, नागपुर सहित संबंधित अनेकों विशिष्टों को दिया गया है।