
वन विभाग के टीम व पकड़ा गया बाघ (फोटो नवभारत)
Chandrapur Tiger T-115 Captured: वन विभाग आखिरकार उस बाघ को पकड़ने में सफल हो गया है जो पिछले दो महीने से चंद्रपुर जिले की गोंडपिपरी तहसील में उत्पात मचा रहा था। इस बीच दो मासूम किसानों की जाने भी गई थी। इस बाघ को पकडने के लिए विशेष ऑपरेशन शाम (18 दिसंबर) को पोंभुर्णा तहसील के देवई खेतपरिसर में सहायक उप वनसंरक्षक आदेश कुमार शेडगे के नेतृत्व में किया गया।
60 दिनों की लगातार कोशिशों के बाद मिली इस कामयाबी से गोंडपिपरी और आस-पास के इलाके के लोगों को राहत मिली है। टि-115 यह बाघ साधारण साढे तीन वर्ष का है। उसका वजन लगभग ढाई क्विंटल होने की बात कही जा रही है।
इस बाघ ने चेकपिपरी और गणेशपिपरी के दो किसानों पर हमला कर उनका शिकार किया था जिससे पूरे तहसील में डर का माहौल था। गुस्साए लोगों ने इकट्ठा होकर चंद्रपुर-अहेरी राज्य महामार्ग को 9 घंटे तक जाम कर दिया और बाघ को तुरंत पकड़ने की मांग की थी। हालात की गंभीरता को देखते हुए वनविभाग और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने दखल दिया और 24 घंटे के अंदर बाघ को पकड़ने का वादा किया था। आश्वासन के बाद आंदोलन खत्म कर दिया गया।
इसके बाद वनविभाग ने बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन शुरू किया। खेतों के किनारों पर उगी फसलों, विस्तृत जंगल और बाघ के लगातार बदलते रास्ते की वजह से यह ऑपरेशन बहुत मुश्किल था। लेकिन, वनविभाग ने हार नहीं मानी और बाघ को ट्रैक करना जारी रखा।
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अधिकारियों और कर्मचारियों की 200 से ज़्यादा टीमें बनाई गईं और दिन-रात सर्च ऑपरेशन चलाया गया। ड्रोन, पगमार्क, कैमरे और स्थानीय जानकारी के आधार पर, सहायक उप वनसंरक्षक शेडगे ने किशोर गौरकर और शूटर अविनाश फुलझेले की कड़ी मेहनत और मार्गदर्शन से जोखिम उठाकर आखिरकार बाघ को धर दबोचा। वनविभाग के इस सफल ऑपरेशन का जहां लोग स्वागत कर रहे हैं, वहीं उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
गोंडपिपरी के गणेशपिपरी व चेकपिपरी के परिसर के गांवों में इस बाघ की इतनी दहशत फैल गयी थी कि किसानों ने अपने खेतों में जाना बंद कर दिया था। इससे फसल का नुकसान हो रहा था। धान के साथ अन्य खडी फसलों को जंगली सुअरों का झुंड तबाह कर रहा था। परंतु बाघ की दहशत से किसान घर से बाहर नहीं निकल रहे थे।






