हादसे में बची जान लेकिन 'इंसानियत' हारी (सौजन्यः सोशल मीडिया)
बुलढाणा: महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के खामगांव शहर को औद्योगिक और व्यापारिक नगरी के रूप में जाना जाता है, लेकिन अब यह क्षेत्र लगातार हो रही सड़क दुर्घटनाओं के कारण बदनाम भी हो रहा है। यहां से गुजरने वाला राष्ट्रीय महामार्ग, उस पर हो रहे अधूरे निर्माण कार्य और दिन-रात चलने वाली भारी वाहन यातायात के कारण छोटे-बड़े हादसे आम बात हो गई है।
बीते अप्रैल महीने में खामगांव के आसपास कई दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें कई लोगों ने जान गंवाई और अनेक घायल हुए। ताजा घटना में मंगलवार, 6 मई की सुबह एक और सड़क हादसा खामगांव-मेहकर राजमार्ग पर गोमेधर फाटे के पास हुआ। लेकिन इस हादसे ने न सिर्फ सड़क सुरक्षा पर सवाल उठाए, बल्कि इंसानियत को भी कठघरे में खड़ा कर दिया।
मुंबई से आगे की ओर जा रहा एक तेज रफ्तार डीजल टैंकर अनियंत्रित होकर पलट गया। टैंकर भारी होने और ईंधन से भरा होने के कारण पलटते समय जोरदार धमाका हुआ, जिससे आसपास का इलाका हिल गया। यह सुनते ही आसपास के गांवों से लोग दौड़कर घटनास्थल पर पहुंचे। पहले तो ग्रामीणों को लगा कि चालक और क्लीनर की मौत हो गई होगी। लेकिन जैसे ही लोग टैंकर की केबिन तक पहुंचे, उन्हें राहत की सांस मिली, दोनों जख्मी जरूर थे, पर सुरक्षित थे।
ग्रामीणों ने दोनों को बाहर निकाला और मदद की। कुछ देर के लिए इंसानियत की मिसाल पेश हुई। थोड़ी ही देर में हादसे की खबर पूरे इलाके में फैल गई। इसके बाद घटनास्थल पर ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई — लेकिन इस बार मदद के लिए नहीं, बल्कि फ्री का डीजल लूटने के लिए। हर कोई अपने साथ प्लास्टिक के कैन, ड्रम, बाल्टी और अन्य बर्तन लेकर आया था। बच्चे, युवा, बुजुर्ग और महिलाएं सभी ने टैंकर से डीजल भरना शुरू कर दिया। देखते ही देखते अफरातफरी मच गई। धक्का-मुक्की, गाली-गलौच और तू-तू मैं-मैं शुरू हो गई।
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जिन ग्रामीणों ने कुछ मिनट पहले इन दोनों की जान बचाई थी, वही अब टैंकर से डीजल निकाल रहे थे। घायल चालक और क्लीनर हाथ जोड़कर विनती कर रहे थे “कृपया डीजल मत ले जाइए, यह गैरकानूनी है।” लेकिन कोई उनकी सुनने को तैयार नहीं था। लालच के आगे इंसानियत हार गई।
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। टैंकर से हजारों लीटर डीजल ग्रामीणों ने भर लिया था और वहां से चले गए थे। यह पूरी लूट एक तरह से खुलेआम चोरी बन चुकी थी।