प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देवेंद्र फडणवीस (फोटो: ANI)
मुंबई. लोकसभा चुनाव में हुई करारी हार के बाद बीजेपी के नेता सदमे में हैं। केंद्रीय प्रभारी केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव हार के कारणों से सबक लेते हुए आगामी विधानसभा चुनाव जीतने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। बीजेपी का अन्य दलों से आए नेताओं से भरोसा धीरे धीरे उठने लगा है, लिहाजा पार्टी अब अपने पुराने कैडर के भरोसे चुनाव मैदान में उतरेगी।
सूत्रों के अनुसार पार्टी के नेता हार के लिए भले ही अलग अलग कारण गिना रहे हैं, लेकिन कोर कमेटी के अधिकांश नेताओं का मानना है कि बाहरियों पर भरोसा करना पार्टी की सबसे बडी भूल है। लोकसभा चुनाव में हार के कई और भी कारण हैं, लेकिन एक बड़ी वजह अपने कैडर को साइड लाइन कर दूसरे दल से आए नेताओं के हाथों में नेतृत्व सौंपना है। उनके कारण नंबर वन की पार्टी कांग्रेस से पीछे होकर दूसरे तीसरे स्थान पर चली गयी।
लोकसभा चुनाव में पार्टी की कई गलतफहमियां दूर हुई हैं। बीजेपी के हर उम्मीदवारों को इस बात का घमंड था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मैजिक के भरोसे उनकी जीत पक्की है, लेकिन रिजल्ट ने सब की गलतफहमी दूर कर दी है। मोदी की महाराष्ट्र में 19 रैली हुई थी, इसमें महायुति 17 सीटों पर चुनाव हार गयी। इसमें चिंता की बात यह है कि अधिकांश सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों को कांग्रेसियों ने हराया है।
बीजेपी का ग्राफ गिरना और कांग्रेस का ग्राफ बढ़ना, यह पार्टी के लिए खतरनाक साबित हुआ है। निजी एजेंसियों और सरकारी एजेंसियों के सर्वे भी फेल साबित हुए है। एग्जिट पोल की तरह बीजेपी के आंतरिक सर्वे और निजी एजेंसियों ने 35 प्लस का आंकड़ा दिया था। बीजेपी को अकेले 20 सीट जीतना बताया गया था, लेकिन 27 सीट लडकर बीजेपी सिंगल डिजिट यानी 9 सीट पर पहुंच गयी। बीजेपी उद्वव ठाकरे की पार्टी के बराबर आकर खडी हो गयी। कोर कमेटी के नेता इसको लेकर भी चिंतित है। उनका मानना है कि जमीनी हकीकत से दूर इन एजेंसियों की रिपोर्ट से पार्टी को भारी नुकसान हुआ है।
अक्टूबर नवंबर में देश में तीन राज्यों महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड विधानसभा चुनाव होने हैं। हरियाणा और महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार है। झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री है। लोकसभा चुनाव के वक्त सोरेन जेल में थे। इसके बावजूद राज्य की सभी 5 आदिवासी सीटें इंडिया गठबंधन जीत गया। अब सोरेन बाहर आ गए हैं। आदिवासियों के बीच पनपी सहानुभूति के बीच होने वाले चुनाव में बीजेपी को सफलता मिलेगी, इसमें संदेह है। हरियाणा की स्थिति पार्टी के लिए अनुकूल नहीं है। ऐसे में महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव बीजेपी के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इंडिया गठबंधन के मुकाबले यदि हार का सामना करना पडा तो,राज्य तो जाएगा ही,केंद्र की सरकार भी हिलने लगेगी। इसलिए किसी भी सूरत में बीजेपी महाराष्ट्र की सत्ता पर दोबारा कब्जा चाहती है।
राष्ट्रीय स्वयं संघ भी महाराष्ट्र में हुई पार्टी की दुर्गति से चिंतित है। संघ का मानना है कि किराए के घोड़े से रेस में जाने से अच्छा है अपने कैडर पर भरोसा कर चुनाव लड़ना चाहिए। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में बिना शिवसेना से गठबंधन 123 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। कैडर पर भरोसा और समन्वय से चुनाव में उतरा जाए तो, सत्ता की वापसी हो सकती है।