इंद्रायणी जैसी त्रासदी का हो रहा इंतजार। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
भंडारा: पुणे जिले के इंदोरी में इंद्रायणी नदी में पुल गिरने से हुई दुर्घटना ने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया। कई निर्दोष लोगों की जानें चली गईं। इसी पृष्ठभूमि में भंडारा जिले की वैनगंगा नदी पर स्थित 96 साल पुराना ब्रिटिशकालीन पुल और उस पर आज भी जारी यातायात एक बार फिर गंभीर चर्चा का विषय बन गया है। यह पुल हर साल बारिश में बाढ़ की चपेट में आ जाता है, कई बार हादसे भी होते हैं, फिर भी नागरिक इसका उपयोग करते हैं और प्रशासन नजरअंदाज करता है।
वैनगंगा नदी पर बना यह पत्थर का पुल 1929 में ब्रिटिश शासन के दौरान बनाया गया था। यह पुल अब लगभग 100 साल का हो चुका है। इसकी उम्र पहले ही पूरी हो चुकी है। बारिश में जब नदी उफान पर होती है, तब पुल के ऊपर से भी पानी बहने लगता है। इस वर्ष बारिश में दो बार पुल बाढ़ के पानी के नीचे रहा। बाढ़ के कारण पुल पर बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं। सुरक्षा रेलिंग जंग लगकर टूट चुकी हैं। वर्तमान में पुल पर एक भी सुरक्षा रेलिंग मौजूद नहीं है। रात के अंधेरे में यह पुल और भी खतरनाक हो जाता है।
इससे पहले भी कई वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। असल में इस पुराने पुल के बगल में नया पुल बनाया गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर भारी वाहनों की आवाजाही नए पुल से होती है। लेकिन दुर्भाग्य से समय और दूरी बचाने के लिए स्थानीय नागरिक अब भी कारधा और आसपास के इलाकों में जाने के लिए पुराने पुल का ही उपयोग करते हैं। दोपहिया वाहनों की बड़ी संख्या रोज इस पुल से गुजरती है। सुबह और शाम पुल पर वाहनों की भीड़ लगती है। ऐसे में दुर्घटना की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
2016 में रायगढ़ जिले के महाड़ में सावित्री नदी पर बने ब्रिटिशकालीन पुल के गिरने से कई लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद तत्कालीन जिलाधिकारी ने एहतियातन पुराने पुलों पर यातायात रोक दिया था। भंडारा में भी पुल के दोनों ओर लोहे की रेलिंग लगाकर यातायात बंद कर दिया गया था। लेकिन स्थानीय नागरिकों की सुविधा के लिए ये रेलिंग हटा दी गईं।
चारपहिया वाहनों पर रोक है, लेकिन दोपहिया वाहनों का आवागमन फिर से शुरू हो गया। पुल की हालत दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। डामरीकरण और मरम्मत के चलते इसका बाहरी स्वरूप ठीक दिखता है, लेकिन अंदर से यह कमजोर हो चुका है।
इस पुल ने कई मानसून देखे हैं। 1994 में सात बार आई बाढ़ के कारण यह पुल बार-बार पानी के नीचे रहा। हर साल मानसून की बाढ़ में यह पानी के नीचे डूब जाता है। स्थापत्यशास्त्र के अनुसार, पुल लगातार पानी के संपर्क में रहने से उसकी मजबूती में भारी कमी आती है। इसलिए यह पुल संरचनात्मक दृष्टि से कमजोर हो चुका है।
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तुमसर-कटंगी मार्ग पर अंतराज्यीय पुल की भी स्थिति गंभीर है। इस पुल की उम्र पूरी हो चुकी है। राज्य शासन ने नए पुल के निर्माण को मंजूरी दे दी है, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है। पुराने पुल से हल्के वाहनों का यातायात जारी है, लेकिन यह भी जीर्ण अवस्था में है और लगातार झटके सह रहा है।
वैनगंगा नदी के पुराने पुल पर जारी यातायात प्रशासन की लापरवाही का जीता-जागता प्रमाण है। नया पुल होने के बावजूद पुराने पुल पर निर्भरता खत्म नहीं हुई है। इसमें केवल प्रशासन ही नहीं, नागरिकों की भी उदासीनता साफ दिखती है। भविष्य में अगर कोई बड़ी दुर्घटना हो गई, तो जिम्मेदार कौन होगा? यह सवाल आज पूरे उत्पन्न हुआ है।
वर्तमान में इस पुल से यात्रा करना मानो मौत के दरवाजे तक जाने जैसा है। संबंधित विभागों को तुरंत हस्तक्षेप कर यातायात पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए, अन्यथा इंदोरी जैसी त्रासदी फिर से घट सकती है, इसकी कोई गारंटी नहीं दी जा सकती।