अब प्रभारी अधिकारी के भरोसे थाने का काम (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Bhandara District: लाखनी पुलिस थाने की हालत इन दिनों बेहद चिंताजनक बनी हुई है। स्थायी पुलिस निरीक्षक न होने से थाने की कार्यप्रणाली पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गई है। कानून व्यवस्था संभालने में पुलिस कर्मियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गंभीर मामलों की जांच अधूरी पड़ी है, जबकि अपराधी गतिविधियाँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। 11 सितंबर से थाना प्रभारी सहायक पुलिस निरीक्षक के भरोसे चल रहा है, जिससे प्रशासनिक निर्णयों में देरी और भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है।
पिछले दो वर्षों में लाखनी थाने में थानेदारों का आना-जाना आम बात बन गई है। मिलिंद तायडे के तबादले के बाद नवंबर 2023 में सत्यवीर बंडीवार ने पदभार संभाला। मार्च 2024 में बंडीवार का तबादला हुआ और नरेंद्र निस्वादे नए थानेदार बने।अगस्त 2024 में हृदय नारायण यादव को जिम्मेदारी मिली, लेकिन जून 2025 में उनका भी तबादला हो गया। इसके बाद गणेश पिसाल ने थाने का कार्यभार संभाला, मगर 11 सितंबर 2025 में उनके जाने के बाद से अब तक थानेदार की कुर्सी खाली है।
लाखनी पुलिस स्टेशन के अंतर्गत कुल 61 गांवों की कानून व्यवस्था आती है। इतने बड़े क्षेत्र की जिम्मेदारी अब एक प्रभारी अधिकारी और स्टाफ के भरोसे चल रही है। पुलिस निरीक्षक के रिक्त पद के कारण थाने की प्रशासनिक व्यवस्था लड़खड़ा गई है, जिससे अपराध नियंत्रण और जांच कार्य दोनों प्रभावित हो रहे हैं। नागरिकों का कहना है कि थाने में स्थायी नेतृत्व के अभाव में अपराधियों के हौसले बुलंद हो गए हैं और आम लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
स्थायी पुलिस निरीक्षक न होने से सहायक पुलिस निरीक्षक और कर्मचारियों पर काम का भारी दबाव है। मार्गदर्शन और निर्णय लेने वाले वरिष्ठ अधिकारी की कमी के कारण कर्मियों को हर कदम पर कठिनाई झेलनी पड़ रही है। गंभीर अपराधों की जांच में रूकावट, बंदोबस्त में भ्रम और प्रशासनिक निर्णयों में देरी जैसी स्थितियाँ रोज़मर्रा का हिस्सा बन गई हैं। कई कर्मचारी मानसिक तनाव में ड्यूटी कर रहे हैं, जिससे उनकी कार्यक्षमता भी प्रभावित हो रही है।
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स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने पालक मंत्री एवं गृह राज्य मंत्री डॉ. पंकज भोयर से अपील की है कि वे इस स्थिति पर तत्काल संज्ञान लें और लाखनी पुलिस स्टेशन को एक स्थायी और अनुभवी पुलिस निरीक्षक मुहैया कराएँ। जनता का कहना है कि जब तक थाने में स्थायी नेतृत्व नहीं आता, तब तक कानून व्यवस्था सुधरने की उम्मीद बेमानी है। लाखनी पुलिस स्टेशन की यह स्थिति अब सिर्फ प्रशासनिक नहीं बल्कि जनसुरक्षा का सवाल बन चुकी है। अपराधों पर लगाम कसने और थाने की कार्यप्रणाली को पटरी पर लाने के लिए सरकार को तुरंत स्थायी पुलिस निरीक्षक की नियुक्ति करनी होगी, तभी नागरिकों में भरोसा और सुरक्षा की भावना फिर लौट सकेगी।