स्मार्ट प्रीपेड मीटर का विरोध कायम। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
भंडारा: देशभर में आगामी एक वर्ष के भीतर 25 करोड़ स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की सरकार की योजना है। पहले चरण में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात समेत कुछ राज्यों में यह मीटर लगाए गए हैं। लेकिन इन राज्यों में उपभोक्ताओं ने इन मीटरों का तीव्र विरोध किया है। विरोध को देखते हुए वहां स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की प्रक्रिया स्थगित कर दी गई है। अब वही मीटर लाखनी तहसील में जबरन लगाए जा रहे हैं, जिसका कांग्रेस की ओर से कड़ा विरोध किया जा रहा है।
लाखनी तहसील कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष योगराज झलके ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का विरोध करते हुए राज्य सरकार को तहसीलदार के माध्यम से एक ज्ञापन सौंपा है। उन्होंने कहा कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 47(5) के अनुसार उपभोक्ताओं को मीटर संबंधी स्वतंत्रता और वैध विकल्प चुनने का अधिकार है। लेकिन लाखनी तहसील में यह अधिकार दरकिनार कर जबरन मीटर लगाए जा रहे हैं। मीटर बदलने वाले कर्मचारियों के पास कोई वैध पहचान पत्र नहीं है और न ही सरकार की ओर से साधारण मीटर को बदलकर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का कोई आदेश है।
खास बात यह है कि गांव-गांव में चोरी-छुपे पुराने मीटर हटाकर स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। यह सरासर तानाशाही है और लोकतंत्र के खिलाफ कार्यवाही है। इन स्मार्ट मीटरों के कारण उपभोक्ताओं को दोगुना प्रीपेड बिल भरना पड़ेगा, जिससे आम जनता, किसान और छोटे उद्यमी प्रभावित होंगे।
महावितरण की इस योजना से उपभोक्ताओं को दीर्घकालिक आर्थिक नुकसान होगा। उपभोक्ताओं ने मीटर बदलने की कोई मांग नहीं की थी, फिर भी चालू हालत में मौजूद मीटर हटाकर जबरन नए मीटर लगाए जा रहे हैं, जो कि कानूनन अपराध है।
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इसके अलावा, वर्तमान में उपयोग हो रहे महावितरण के स्वामित्व वाले मीटर बेकार हो जाएंगे, जिससे महावितरण को भारी आर्थिक नुकसान होगा और इस बोझ का असर बिजली दरों में वृद्धि के रूप में उपभोक्ताओं पर ही पड़ेगा।
इसलिए लाखनी तहसील में जबरन लगाए जा रहे स्मार्ट प्रीपेड मीटर की प्रक्रिया को तुरंत रोका जाए, अन्यथा लाखनी तहसील कांग्रेस कमेटी की ओर से तीव्र आंदोलन छेड़ा जाएगा। ज्ञापन सौंपते समय तहसील के सभी कांग्रेस पदाधिकारी, कार्यकर्ता व वरिष्ठ नागरिक प्रमुखता से उपस्थित थे।