प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Bhandara Freedom Fighters News: भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। भंडारा जिले में अब केवल 15 स्वतंत्रता सेनानियों के वारिस ही शेष बचे हैं, जो सरकार द्वारा दी जाने वाली पेंशन का लाभ उठा रहे हैं। यह आंकड़ा न सिर्फ एक युग के अंत का संकेत है, बल्कि हमें अपनी गौरवशाली विरासत को संजोने की जिम्मेदारी भी याद दिलाता है।
जिला प्रशासन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इन 15 वारिसों में से 2 भंडारा तहसील में, 4 तुमसर में, 5 मोहाड़ी में, 2 पवनी में और 2 लाखनी तहसील में रहते हैं। यह भी पता चला है कि साकोली और लाखांदुर तहसीलों में अब न तो कोई जीवित स्वतंत्रता सेनानी हैं और न ही उनके वारिस। यह स्थिति दर्शाती है कि समय के साथ-साथ स्वतंत्रता संग्राम की जीवित गाथाएं कम होती जा रही हैं।
प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि इन वारिसों को पेंशन देने के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध है। संबंधित पांचों तहसील कार्यालयों को 29 लाख 80 हजार रुपए की राशि पहले ही जारी की जा चुकी है, जो दिसंबर 2025 तक पेंशन वितरण के लिए पर्याप्त होगी। प्रशासन ने यह भी आश्वासन दिया है कि किसी भी वारिस को पेंशन पाने में किसी तरह की आर्थिक कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा।
भंडारा जिले के स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी की लड़ाई में अद्वितीय साहस और बलिदान का परिचय दिया था। जेलों में यातनाएं सहना, अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन करना और मोर्चा संभालना जैसी अनेक घटनाएं आज भी हमारे इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे ये ऐतिहासिक गवाह और उनके वारिस कम हो रहे हैं, यह समाज और सरकार दोनों का कर्तव्य बन जाता है कि वे इन कहानियों को नई पीढ़ी तक पहुंचाएं, ताकि हमारे युवा जान सकें कि आज की आजादी कितने संघर्षों के बाद मिली है।
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इस अमूल्य धरोहर को सहेजना हम सबका नैतिक कर्तव्य है। प्रशासन का कहना है कि स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को सम्मान देने और उनकी यादों को ताजा रखने के लिए सांस्कृतिक और शैक्षणिक कार्यक्रमों का आयोजन करना आवश्यक है। यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि आने वाली पीढ़ियां इन वीर गाथाओं से प्रेरणा ले सकें और स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों को समझ सकें।