लाडली बहनों की संख्या हो रही कम (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Bhandara News: भंडारा विधानसभा चुनाव से पहले महायुति सरकार की ओर से शुरू की गई महत्त्वाकांक्षी लाडली बहन योजना में योग्य महिलाओं की संख्या घटने लगी है, जिससे जिले में भारी खलबली मची हुई है। अब तक 32,522 महिलाओं का लाभ अचानक बंद हो गया है, जिससे महिलाओं में रोष की लहर दौड़ गई है।सूत्रों के अनुसार,योग्यता के मानदंडों के बावजूद कई महिलाओं के बैंक खातों में प्रतिमाह 1,500 रुपये का अनुदान अचानक बंद किया जा रहा है।
यह कदम लाभार्थियों के बीच नाराजगी और असंतोष पैदा कर रहा है। महायुति सरकार ने जून 2024 में विधानसभा चुनाव से पहले इस योजना की घोषणा की थी। भंडारा जिले में इसके लिए कुल 2,99,971 महिलाओं ने आवेदन किया था। इनमें से 2,82,788 महिलाओं को योजना का लाभ मिलना शुरू हुआ। भंडारा जिले में इन योग्य महिलाओं को प्रतिमाह 1,500 रुपये का अनुदान मिलने के कारण सालाना लगभग 42।41 करोड़ रुपये का वित्तीय भार सरकार को वहन करना पड़ रहा था। योजना की शुरुआत में 17,183 महिलाएं अयोग्य घोषित हुई।
अब,उपलब्ध लाभार्थियों में भी सावधानीपूर्वक छानबीन की जा रही है, जिससे योग्य महिलाओं की संख्या में गिरावट आ रही है। इस वजह से महिलाओं में यह भावना पैदा हो रही है कि लाडली बहन योजना अब सौतेली बहन बन गई है। योजना के लिए पंजीयन प्रक्रिया दो चरणों में हुई थी। जुलाई 2024 में नारी शक्ति दूत ऐप के माध्यम से 2,09,282 महिलाओं ने आवेदन किया। इसमें 15,349 महिलाएं अयोग्य ठहराईं गई।
अगस्त 2024 में मुख्यमंत्री लाडली बहन योजना पोर्टल पर 90,689 महिलाओं ने आवेदन किया, जिसमें 88,855 महिलाएं योग्य रहीं और 1,834 अयोग्य हुईं। वर्तमान में प्रतिदिन कितनी महिलाएं अयोग्य हो रही हैं, इसका वर्गवार और सटीक डेटा संबंधित विभाग के पास उपलब्ध नहीं है। पोर्टल पर अयोग्यता का कारण स्पष्ट नहीं होने से असमंजस फैल रहा है। महिलाएं जब केवायसी प्रक्रिया पूरी करने जाती हैं, तो अक्सर आधार अपडेट होने से पहले ही उन्हें संदेश प्राप्त होता है कि वे योजना की लाभार्थी नहीं हैं। यह प्रशासनिक स्तर पर आंकड़ों की कमी को उजागर करता है।
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जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी अरुण बांदुरकर ने बताया कि 2024 के शुरुआती चरण में आवेदन करने वाली महिलाएं ही वर्तमान में योग्य हैं, और योजना के लिए नई महिलाओं की पंजीकरण फिलहाल बंद है। वरिष्ठ अधिकारियों से प्राप्त निर्देशों के अनुसार समय-समय पर कार्रवाई की जाती है।
लाभ बंद होने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ने से महायुति सरकार को महिलाओं के रोष का सामना करना पड़ सकता है। लाभार्थियों ने अपात्रता के कारण स्पष्ट करने और पारदर्शिता लाने की मांग की है।