File Photo
भंडारा. जिले के तकरीबन हर क्षेत्र में कम अधिक प्रमाण में मिर्च का उत्पादन किया जा रहा है. मिर्च की फसल काली मिट्टी में ली जाती है.पथरीले भूमि में भी मिर्च बोई जाती है. हालांकि, अधिक फसल पैदा करने के लिए काली सख्त मिट्टी होनी चाहिए. जिले की सभी 7 तहसीलों में मिर्च की बुआई की जाती है. इससे किसान नकदी फसल के रूप में मिर्च की बुआई की ओर बढ़ रहे हैं.
जिले के कुछ क्षेत्रों में किसान मिर्च फसल की बुआई कर हे हैं. मिर्च को नकदी फसल के रूप में जाना जाता है. मिर्च आमतौर पर जून से जुलाई तक बोई जाती है. हरी मिर्च की तुड़ाई अक्टूबर से नवंबर तक की जाती है. वही किसान मिर्च के पेड़ों को पकने के बाद ही तोड़ते हैं. मार्च महीने तक मिर्च का उत्पादन होता रहता है. अप्रैल से मई महीने में मिर्च के खेतों से मिर्च के पेड़ निकालकर जुताई करके फिर से खेत मिर्च की बुआई के लिए तैयार किए जाते है.
गोबर खाद, रासायनिक खाद एवं अन्य सेंद्रीय खाद भी मिर्च की फसल को दी जाती है. सबसे पहले मिर्च के बीजों के लिए उत्तम मिर्च के बीज तैयार किए जाते है. मिर्च की बुआई जुलाई के महीने में की जाती है जब मिर्च के पौधे तैयार हो जाते हैं. दिसंबर से जनवरी तक मिर्च की फसल में अच्छी पैदावार होती है.
ठंडा मौसम मिर्च फसल के लिए पोषक तत्व है. इससे मिर्च के पेड़ अच्छे से उगते हैं. मिर्च की विभिन्न प्रजातियां होती हैं. जब सबसे अच्छी किस्म बोई जाती है, तो अधिक मिर्च पैदा होती है. यही कारण है कि जिले के किसान अब मिर्च की फसल की ओर रुख कर रहे हैं.
जिले के कुछ क्षेत्रों में अब कई किसान पारंपरिक फसल की बुआई के बजाय मिर्च की फसल की ओर आकर्षित हो रहे हैं. मिर्च के बागों के साथ कुछ किसान झंडू के फूल के पेड़ लगाते हैं. इसके अलावा मिर्च के बाग में बैगन, टमाटर एवं अन्य सब्जियां भी बोई जाती हैं. इससे किसान अब मिर्च की बुआई की ओर रुख कर रहे हैं.