रावण दहन में उमड़ा जनसैलाब (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Sakoli: विजयदशमी अथवा दशहरा पर्व का हिंदूओं के लिए विशेष महत्व है। प्रतिवर्ष अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाने वाला यह त्योहार जनमानस में खुशी, उत्साह व नवीनता का संचार करता है। मान्यता है कि भगवान राम ने इसी दिन आततायी और दूराचारी मदांध लंकापति रावण का वध किया था। इसी प्रकार नवरात्रि के समापन के साथ यह पर्व मनाया जाता है। देवी दुर्गा ने आसुरी शक्ति का विनाश कर देवताओं और सृष्टि को भयमुक्त किया था। दशहरा या विजयादशमी को रावण दहन की पंरपरा चली आ रही है। यह शौर्य पर्व है इसलिए इस दिन शस्त्रपूजन भी होता है। बाल दुर्गा उत्सव समिति एवं रावण दहन समिति पंचशील वार्ड साकोली की ओर से जिप हाई स्कूल पंचशील वार्ड में रावण दहन कार्यक्रम किया गया। वडद के पेंटर भास्कर वजे ने करिब 25 फिट का रावन बनाया था।
रावण दहन बाल दुर्गा उत्सव मंडल एवं रावण दहन समिति के अध्यक्ष अश्विन नशिने, सचिव राजू दुबे, उपाध्यक्ष राजेश बैस तथा प्रवीण भांडारकर, होमराज कापगते, रवि अग्रवाल, संदीप बावनकुडे, शेरसिंह चव्हाण, गिरीश रहांगडाले तथा साकोली सेंदुरवाफा के प्रतिष्ठित डॉक्टर, वकील, शिक्षक , व्यापारी, साकोली निवासी एवं नन्हे बाल गोपाल उपस्थित थे। बाल दुर्गा उत्सव समिति एवं रावण दहन समिति ने इस अवसर पर भव्य पटाखा शो आयोजन किया था। इस बार भव्य फटाका शो राष्ट्रवादी कांग्रेस के युवा शहर अध्यक्ष प्रवीण भंडारकर की ओर से आयोजित किया गया, जो काफी देर तक चलता रहा। रावण दहन देखने आए पटाखा शो देखकर एक दूसरे को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं दे रहे थे।
पर्व का विजयदशमी पर शस्त्रपूजन की परंपरा शमी के पत्ते एक-दूसरों को देने का प्रचलन दशहरा के दिन शमी के पत्तों की पूजा करने के अलावा उसके पत्तों को सोना मानकर एक-दूसरों को देने का चलन भी काफी पुराना और प्रचलित है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने रावण से युद्ध करने से पूर्व शमी के वृक्ष की पूजा कर अपने विजय की प्रार्थना की थी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत के युध्द के दौरान कुंति पुत्र पांडवों ने इसी वृक्ष पर अपने शस्त्र छिपाए थे। बाद में इन्हीं शस्त्रों की मदद से उन्होंने कौरवों पर विजय प्राप्त की थी।
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दशहरे के दिन नीलकंठ के दर्शन को शुभ संकेत माना जाता है। यह पक्षी धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। नीलकंठ के दर्शन से यह संकेत मिलता है कि व्यक्ति की सभी परेशानियां दूर होंगी और उसके जीवन में सकारात्मक बदलाव आएंगे, यह भी माना जाता है कि नीलकंठ के दर्शन से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसलिए, दशहरे के दिन नीलकंठ का दर्शन विशेष रूप से महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। उत्सव मंडल एवं रावण दहन समिति ने रावण दहन के पश्चात जिप हाईस्कूल के मैदान पर जय श्रीराम के नारे के लगाए।