भंडारा. मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा अधिकारी कर्मचारी संगठन,ऑल इंडिया स्टुडेंटस फेडरेशन,महाराष्ट्र राज्य सहकारी संस्था गटसचिव अधिकारी कर्मचारी संगठन, ओर ग्राम पंचायत संगणक परिचालक कर्मचारी संगठन के समायोजन कार्रवाई समिति के पदाधिकारियों को विश्राम गृह भंडारा में ज्ञापन लेने के लिए बुलाया, लेकिन मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री बिना ज्ञापन लिए निकल गए.इस पर संविदा अधिकारी और कर्मचारियों ने नाराजगी व्यक्त की और स्टेट हाईवे क्र.6 दो घंटे जाम कर दिया..
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा अधिकारी कर्मचारियों को रिक्त पदों पर सरकारी सेवा में समाहित करने और समान काम के लिए समान वेतन की मांग को लेकर पूरे महाराष्ट्र में 25 अक्टूबर से काम बंद आंदोलन चल रहा है.31 अक्टूबर को जन स्वास्थ्य मंत्री के कार्यालय में समायोजन कार्रवाई समिति के पदाधिकारियों और प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक हुई थी और वादा किया गया था कि 30 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने के संबंध में निर्णय लिया जाएगा.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सरकारी सेवा में शामिल करने का निर्णय आगामी कैबिनेट में लिया जाएगा, लेकिन दो कैबिनेट होने के बाद भी इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिए जाने से महाराष्ट्र के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा अधिकारियों और कर्मचारियों की भावनाएं प्रबल हैं और उन्होंने लिखित में उचित आश्वासन या कैबिनेट में निर्णय होने तक आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया है. राज्य में 34000 ठेका अधिकारी व कर्मचारी इस आंदोलन में शामिल है.
पवन वासनिक, प्रवीण बोरकर, प्रभाकर पाटिल, संगीता रेवड़े, डॉ. तुषार मस्के, डॉ. अजिंक्य शेलके, रीता ईश्वरकर, डॉ. अजीत श्रावणकर, वर्षा सार्वे, जितेंद्र अंबादे, डॉ. अमित झंझाड, वर्षा पाटिल, डॉ. शैलेश कुकड़े, अनिता गौरी ने आंदोलन का नेतृत्व किया.
सीएम और डीसीएम भंडारा में आने पर उन्हें ज्ञापन सौपने का इरादा इन कर्मचारियों का था.इसके लिए गोंदिया और नागपुर सहित कई जिले के कर्मचारी आए थे,सीएम ने उन्हें विश्रामगृह में ज्ञापन देने बुलाया था. लेकिन ज्ञापन लिए बिना सीएम आगे निकल गए.इसी बात पर नाराज होकर कर्मचरियों ने रास्ता रोको किया. आखिर इसकी खबर सीएम तक पहुंचाई गई.सीएम ने उन्हें ज्ञापन लेने के लिए हैलीपैड पर बुलवाया. पुलिस ने अपने वाहन से उन्हें हैलीपेड पर पहुंचाया.