(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Bhandara Smart School News: राज्य सरकार ने जिला परिषद स्कूलों का शैक्षिक स्तर ऊंचा उठाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। ‘मुख्यमंत्री माझी शाला-सुंदर शाला’ अभियान के तहत ग्रामीण स्कूलों को स्मार्ट और डिजिटल बनाने का प्रयास जारी है, लेकिन इस अभियान का सबसे अहम आधार इंटरनेट सुविधा ही उपलब्ध नहीं होने से डिजिटल शिक्षा का सपना अधूरा रह गया है। भंडारा जिले की कुल 1,289 स्कूलों में से केवल 718 स्कूलें ही इंटरनेट से जुड़ी हैं, जबकि शेष 571 स्कूलें अब भी इस सुविधा से वंचित हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति में डिजिटल स्कूल की परिकल्पना कागज़ों तक ही सीमित रह जाएगी। सरकारी स्कूलों में प्रोजेक्टर, कंप्यूटर और अन्य डिजिटल उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं। उद्देश्य यह था कि अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूलों की तरह ग्रामीण बच्चों को भी आधुनिक शिक्षा मिले। लेकिन इंटरनेट कनेक्टिविटी के अभाव में ये साधन सिर्फ दिखावे की वस्तु बनकर रह गए हैं।
कई जगह शिक्षक अपने निजी मोबाइल डेटा से छात्रों को सामग्री दिखाने की कोशिश करते हैं, परंतु धीमी गति और सीमित डाटा के कारण यह प्रयास व्यर्थ साबित होता है।
जंगल और दुर्गम इलाकों की शालाओं में हालात और भी गंभीर हैं। कहीं नियमित बिजली आपूर्ति नहीं है, तो कहीं भवन मरम्मत की प्रतीक्षा कर रहे हैं। कुछ स्थानों पर शिक्षक भी कम हैं और मोबाइल नेटवर्क वहां तक नहीं पहुंचता। ऐसे में डिजिटल साधनों और इंटरनेट का लाभ उठाना दूर की बात है।
कंप्यूटर, प्रोजेक्टर और टैबलेट जैसे साधन कई शालाओं में उपलब्ध हैं, लेकिन इंटरनेट न होने से ये धूल खा रहे हैं। ज्ञानरचनावाद और ई-लर्निंग जैसे प्रयोग सिर्फ कागज़ी साबित हुए हैं। डिजिटल शिक्षा का मुख्य उद्देश्य छात्रों को वैश्विक जानकारी और आधुनिक शिक्षा उपलब्ध कराना इंटरनेट के बिना संभव ही नहीं।
तहसील | कुल स्कूलें | इंटरनेट युक्त | इंटरनेट विहीन | प्रतिशत बिना इंटरनेट (%) |
---|---|---|---|---|
भंडारा | 256 | 162 | 94 | 36.72% |
मोहाडी | 156 | 91 | 65 | 41.67% |
तुमसर | 243 | 97 | 146 | 60.08% |
साकोली | 153 | 86 | 67 | 43.79% |
लाखनी | 147 | 85 | 62 | 42.18% |
लाखांदुर | 139 | 62 | 77 | 55.40% |
पवनी | 195 | 135 | 60 | 30.77% |
विशेषज्ञ मानते हैं कि डिजिटल शिक्षा तभी प्रभावी होगी जब उसे पर्याप्त सुविधा मिले। इंटरनेट के माध्यम से ग्रामीण और शहरी बच्चों के बीच की खाई पाटी जा सकती है। लेकिन इंटरनेटविहीन डिजिटल शिक्षा बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ के समान है।
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आज के समय में ई-लर्निंग, ऑनलाइन प्रोजेक्ट्स और वैश्विक घटनाओं का ज्ञान इंटरनेट के बिना संभव नहीं। यदि शासन और प्रशासन हर शाला तक इंटरनेट पहुंचाने का ठोस प्रयास करें तो ही ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों तक वास्तविक डिजिटल शिक्षा पहुंच पाएगी और शिक्षा की गुणवत्ता में वास्तविक सुधार होगा।
भंडारा प्राथमिक शिक्षाधिकारी रवींद्र सोनटक्के ने कहा कि शासन से इंटरनेट सुविधा के लिए अलग से कोई निधि प्राप्त नहीं होता। ग्राम पंचायत, शाला प्रबंधन समिति और जनसहभागिता से कुछ जगह यह सुविधा जुटाई जाती है। कई बार शिक्षक अपने स्मार्टफोन के इंटरनेट से काम चलाते हैं।