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भंडारा के गांवों में मोक्षधाम बदहाल, 281 शेड विहीन तो 535 गांवों में पानी तक नहीं

Bhandara News: भंडारा जिले के 777 गांवों में से 281 में मोक्षधाम में शेड नहीं और 535 में पानी की सुविधा नहीं है। अंतिम संस्कार के समय ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

  • By आकाश मसने
Updated On: Sep 11, 2025 | 11:03 AM

भंडारा के गांव का मोक्षधाम (फोटो नवभारत)

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Bhandara Mokshadham Problem: गांवों की मूलभूत सुविधाओं में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाने वाले मोक्षधाम आज भी बदहाली का शिकार हैं। भंडारा जिले के आंकड़े इस गंभीर स्थिति को उजागर करते हैं। कुल 777 गांवों में से 281 गांव ऐसे हैं, जहां मोक्षधाम में शेड की व्यवस्था नहीं है। वहीं 535 गांवों में पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं है। यह जानकारी जिला परिषद की ताजा रिपोर्ट से सामने आई है।

सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि हर गांव में मोक्षधाम हो और इसके विकास के लिए योजनाओं से निधि भी उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि अधिकांश जगहें अभी भी समस्याग्रस्त हैं। मोक्षधाम तो है, लेकिन शेड और पक्की सड़कें न होने से ग्रामीणों को अंतिम संस्कार के समय भारी परेशानी उठानी पड़ती है।

बारिश में होती है अधिक परेशानी

बरसात में फिसलन भरे रास्तों और नालों को पार करते हुए शव ले जाना पड़ता है। शेड न होने से तेज धूप और बरसात में अंत्येष्टि करनी पड़ती है। कई बार तिरपाल या ताड़पत्री डालकर संस्कार पूरे किए जाते हैं। बरसात के दिनों में हालात और बिगड़ जाते हैं।

कीचड़ के कारण रास्ते बंद हो जाते हैं, नदियां उफान पर होती हैं। कई बार शवों को खेतों के किनारे या सड़कों पर अस्थायी रूप से जलाना पड़ता है। गीली लकड़ियों से चिता जलाना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे समय मृतक परिवार के दुख में और भी वृद्धि हो जाती है।

जिले के 777 गांवों में से 816 जगहों पर मोक्षधाम को शेड और बोरवेल नहीं हैं। इनमें भंडारा तहसील के 164, मोहाडी के 93, तुमसर के 146, लाखनी के 112, साकोली के 92, लाखांदुर के 69 और पवनी तहसील के 140 गांव शामिल हैं। जिन गांवों में यह सुविधाएं हैं, वहाँ भी स्थिति संतोषजनक नहीं कही जा सकती।

535 गांवों के मोक्षधाम में पानी नहीं

फिलहाल 496 गांवों में शेड और 242 गांवों में बोरवेल उपलब्ध हैं। चिंताजनक तथ्य यह है कि 535 गांवों के मोक्षधाम में पानी की सुविधा नहीं है। केवल 242 गांवों में ही अंतिम संस्कार के लिए पानी उपलब्ध है। ग्रामीणों को दोहरी समस्या झेलनी पड़ रही है।एक तरफ शेड का अभाव और दूसरी तरफ पानी की कमी है। मोक्षधाम के लिए सरकार विशेष निधि देती है।

यह भी पढ़ें:- महाराष्ट्र में बदलेगी सरकारी स्कूलों की तकदीर, खुलेंगे CM श्री स्कूल, मंत्री पंकज भोयर ने किया ऐलान

जिला नियोजन समिति और अन्य ग्रामीण योजनाओं से भी अनुदान आता है। लेकिन कार्यान्वयन की गति बेहद धीमी है। मंजूरी मिलने के बाद भी काम शुरू होने में देरी होती है और कई बार ठेकेदार काम अधूरा छोड़ देते हैं।

210 गांवों से प्रस्ताव

भंडारा जिला प्रशासन के अनुसार, 210 गांवों ने मोक्षधाम विकास कार्यों के लिए प्रस्ताव दिए हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में 87 कार्य पूरे किए गए, जिनमें सड़क निर्माण, शोकसभा कक्ष, परिसर की दीवार, सौंदर्यीकरण, श्मशान शेड और बोरवेल शामिल हैं।

सपना बनकर रह गया गांव वहां मोक्षधाम

विशेषज्ञों का कहना है कि अंतिम संस्कार केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामाजिक गरिमा से जुड़ा विषय है। मोक्षधाम को केवल स्थान न मानकर मानवीय सम्मान के प्रतीक के रूप में देखा जाना चाहिए। यदि योजनाओं का निधि समय पर और पारदर्शिता से खर्च किया जाए, तो आने वाले वर्षों में गांव वहां मोक्षधाम का सपना पूरा हो सकता है।

फिलहाल, ज़िले की स्थिति यह बताती है कि ग्रामीणों को अब भी अंतिम संस्कार जैसे संवेदनशील अवसर पर मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

Bhandara mokshdham basic facilities crisis report

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Published On: Sep 11, 2025 | 11:03 AM

Topics:  

  • Bhandara
  • Bhandara News
  • Maharashtra News

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