भंडारा के नए पालकमंत्री पंकज भोयर व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (डिजाइन फोटो)
Bhandara New Guardian Minister News: भंडारा जिले का पालकमंत्री एक बार फिर बदल दिया गया है। जनवरी से जिले की जिम्मेदारी संभाल रहे भुसावल निवासी वस्त्रोद्योग मंत्री संजय सावकारे की जगह अब वर्धा के राज्य मंत्री डॉ. पंकज भोयर को यह दायित्व सौंपा गया है। इस अचानक हुए बदलाव ने जिले के राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी है। स्थानीय राजनीति में तरह-तरह की चर्चाएं तेज हो गई हैं। ‘भुसावल से तो वर्धा अच्छा’ कहते हुए इसे दूध की प्यास ताक पर बुझाने जैसा बताया जा रहा है। भंडारा जिला पालकमंत्री पद के मामले में हमेशा दुर्भाग्यशाली साबित हुआ है। यहां पालक मंत्री तो मिले, लेकिन जिले को विकास की दिशा देने वाली ठोस कामगिरी किसी ने नहीं की। अतिथि पालक मंत्रियों के कार्यकाल में भंडारा हमेशा उपेक्षित ही रहा है।
2014 से पहले जब राज्य में कांग्रेस-राष्ट्रवादी की सरकार थी, तब जिले में सत्ता पक्ष के तीन विधायक थे, लेकिन पालक मंत्री पद नहीं मिला। 2014 में सभी विधायक भाजपा के हुए, मगर नए होने से उन्हें भी यह मौका नहीं मिला। 2019 में महाविकास आघाड़ी सरकार के दौरान भी भंडारा जिले को यह पद स्थानीय नेता नहीं मिला।
महायुति सरकार आने के बाद भी, सत्ता पक्ष के दो विधायक होने के बावजूद भंडारा को पालक मंत्री नहीं मिला। 1999 में भंडारा जिले का विभाजन कर गोंदिया अलग जिला बनाया गया। इसके बाद से ज्यादातर बाहरी नेताओं को ही भंडारा का पालकमंत्री मिला।
नागपुर के अनीस अहमद, अमरावती के डॉ. सुनील देशमुख, वर्धा के रणजीत कांबले, मुंबई के डॉ. दीपक सावंत, पुणे के डॉ. विश्वजीत कदम, कोरोना काल में सुनील केदार, फिर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और आदिवासी विकास मंत्री डॉ. विजयकुमार गावित जैसे नेताओं ने भंडारा का पालकमंत्री संभाला। मगर किसी का भी प्रभाव विकास पर खास नहीं दिखा।
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भंडारा में पिछले छह वर्षों में 6 बार पालकमंत्री बदले गए हैं। विश्वजीत कदम, सुनील केदार, देवेंद्र फडणवीस और डॉ. विजयकुमार गावित के बाद अब संजय सावकारे की जगह डॉ. पंकज भोयर को यह जिम्मेदारी मिली है।
नए पालक मंत्री डॉ. पंकज भोयर वर्धा जिले के हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा ने यह नियुक्ति सामाजिक समीकरण साधने और आगामी नगरपालिका व स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनावों में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए की है। राजनीतिक हलकों में यह ताबड़तोड़ बदलाव चर्चा का विषय बना हुआ है। प्रशासन और विकास पर नई दृष्टि से निगरानी रखी जाएगी, ऐसी उम्मीदें जिले में व्यक्त की जा रही हैं।