प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Bhandara Child Adoption Report: पालकत्व हर दंपत्ति के जीवन का सबसे बड़ा सपना होता है। कई दंपत्ति वर्षों तक इस सुख की प्रतीक्षा करते हैं। लेकिन संतान न मिलने पर गोद लेने के लिए बच्चों की तलाश शुरू होती है। भंडारा जिले में पिछले दस वर्षों में कुल 57 बच्चों को कानूनी रूप से गोद लेने की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा। तब जाकर उन मासूमों को मां की गोद नसीब हुई है और अब उनका जीवन नए माता-पिता की गोद में हिलोरे मारने लगा है।
कुछ बच्चों को रिश्तेदारों ने गोद लिया, तो कुछ को स्टेप गोदी प्रक्रिया के माध्यम से नए पालक मिले। शेष बच्चों को नियमित गोद लेने की प्रक्रिया से नए परिवार में भेजा गया।
गोद लेने की प्रक्रिया में अक्सर 2 से 4 साल का इंतजार करना पड़ता है, क्योंकि कानूनी औपचारिकताएं और प्रशासनिक प्रक्रियाएं काफी जटिल हैं। अविवाहित महिला किसी भी लिंग का बच्चा गोद ले सकती है, जबकि अविवाहित पुरुष केवल लड़के को ही गोद ले सकता है।
विवाहित जोड़ों के लिए कम से कम दो साल का वैवाहिक जीवन पूरा होना अनिवार्य है। यह नियम कई बार इच्छुक माता-पिता के सामने बाधा बनता है, लेकिन कानूनी रूप से गोद लेने की प्रक्रिया से न सिर्फ बच्चे का नया जीवन सुरक्षित होता है, बल्कि पालकत्व का अनुभव भी जीवनभर अविस्मरणीय बनता है।
केंद्रीय दत्तक संसाधन प्राधिकरण के मार्गदर्शन में पंजीकरण, गृह-अध्ययन रिपोर्ट, बाल संगोपन शुल्क जैसी औपचारिकताएं पूरी कर गोद लेने की प्रक्रिया पूरी की जाती है।
पालकत्व की प्राथमिक पसंद 1 से 1.5 वर्ष की उम्र के बच्चों को दी जाती है, क्योंकि इस उम्र में बच्चे नए वातावरण में आसानी से ढल जाते हैं। भंडारा जिले में बाल न्याय अधिनियम 2015 और दत्तक नियमावली 2022 के तहत जिला बाल संरक्षण कक्ष की ओर से गोद लेने की प्रक्रिया चलाई जाती है।
जिला स्तर पर प्रस्तुत प्रस्ताव को केंद्रीय दत्तक संसाधन प्राधिकरण की मंजूरी मिलती है। भंडारा जिले में बाल उदय दत्तक संस्था निराधार बच्चों की देखभाल के लिए कार्यरत है। यहां दाखिल बच्चों को आवश्यक सुविधाएं, शिक्षा और इलाज उपलब्ध कराया जाता है।
यह भी पढ़ें:- …तो होंगे दंगे, ‘आई लव मोहम्मद’ को लेकर शिवसेना नेता के बयान से मचा बवाल
न्यायालय के आदेशानुसार गोद लेने की प्रक्रिया पूर्ण कर बच्चों को नए परिवार में दिया जाता है। पिछले दस वर्षों में बाल उदय दत्तक संस्था के माध्यम से 57 बच्चों को उनके अधिकार का घर मिला है, जिनमें से 5 बच्चों को इटली, दक्षिण कोरिया और अमेरिका जैसे देशों में नया परिवार मिला है।
संरक्षण अधिकारी शिल्पा वंजारी ने बतया कि बच्चों को नए परिवार में पुनर्वास करते समय खुशी होती है। कानूनी प्रक्रिया पूरी करके गोद लेने से भविष्य में कोई परेशानी नहीं आती।
बाल उदय दत्तक संस्था अधीक्षक राणो समरीत ने कहा कि संस्था में दाखिल हर बच्चे की देखभाल की जाती है। उचित देखभाल से बच्चों को सुरक्षित भविष्य मिलता है।