प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Bhandara Cooperative News: भंडारा जिले में सहकारी आंदोलन एक समय गरीब और मध्यमवर्गीय नागरिकों के लिए मजबूत आर्थिक आधार माना जाता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में पतसंस्थाओं समेत अनेक सहकारी संस्थाओं में अनियमितता, वित्तीय गैरव्यवहार और ग्राहकों को बरगलाने के चलते यह आंदोलन पूरी तरह से चरमराता नजर आ रहा है। अब इस गंभीर स्थिति का संज्ञान लेते हुए सहकार विभाग ने सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है।
सहायक निबंधक कार्यालय की ओर से भंडारा जिले की 157 सहकारी संस्थाओं पर अवसायन (liquidated) की कार्रवाई की गई है। विभाग का कहना है कि यह कार्रवाई अचानक नहीं है। पहले कई बार इन संस्थाओं को कामकाज पारदर्शक रखने और नियमित जानकारी देने की हिदायत दी गई। लेकिन अनेकों संस्थाओं के दफ्तर ही बंद नजर आए। कुछ मामलों में तो पंजीकरण के पते पर संस्था का कार्यालय ही अस्तित्व में नहीं मिला।
ऐसे में विभाग के पास कठोर कदम उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। भंडारा जिले में पतसंस्थाएं सहकार आंदोलन की रीढ़ मानी जाती थीं, मगर सबसे अधिक अनियमितताएं भी इन्हीं में सामने आईं। मगर तमाम प्रयासों के बावजूद सहकारी संस्थाओं के कामकाज में सुधार की कोई गुजाइश ही नहीं बची है। इसी कारण जिले की 157 संस्थाओं पर अवसायन की कार्रवाई की गई है।
इनमें पतसंस्थाओं के अलावा महिला सहकारी संस्थाएं, ग्राहक संस्था, उद्योग संस्था, विविध कार्यकारी सोसायटियां और बेरोजगार सहकारी संस्थाओं का समावेश है। इन संस्थाओं के लेखापरीक्षण और वास्तविक कामकाज की जानकारी हासिल करना लगभग असंभव हो चुका है।
भंडारा जिले में कुल पंजीकृत सहकारी संस्थाओं की संख्या 1,500 से अधिक है। इसमें अवसायन में निकाली गई संस्थाओं की संख्या 157 है। इनमें से कई संस्थाओं ने केवल कागजों पर पंजीकरण कराया है। उनके पास ठोस कामकाज का कोई सबूत नहीं है।
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सहकार विभाग ने अचानक निरीक्षण कर जब हालात की जांच की, तो पाया गया कि कई संस्थाओं के दफ्तर ही पते पर मौजूद नहीं हैं। ऐसे सभी संस्थानों को अब अवसायन में निकाला गया है।
विभाग का कहना है कि उद्देश के अनुसार काम न करना, लगातार अनियमितता, कार्यालय पर ताला लटकना, पते पर उपलब्ध न होने से इन संस्थाओं पर कार्रवाई के मुख्य कारण हैं। अवसायन के बाद इन संस्थाओं की पूरी तरह से जांच की जाएगी।
सहकारी आंदोलन कभी ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में आर्थिक प्रगति की धुरी थी। लेकिन आज अनियमितताओं ने इसकी साख पर गहरी चोट पहुंचाई है। सवाल यह है कि क्या अब भी विभाग की यह कार्रवाई सख्त होगी या फिर यह कदम भी महज कागजी कार्रवाई बनकर रह जाएगा? भंडारा जिले के नागरिकों की निगाहें अब सहकार विभाग की इस पहल पर टिकी हैं।