एम्बुलेंस सर्विस (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Bhandara News Today: भंडार जिले में आपातकालीन स्वास्थ्य सेवा 108 एम्बुलेंस ने एक बार फिर अपनी जीवनवाहिनी की उपाधि को सार्थक सिद्ध किया है। भंडारा जिला अस्पताल से नागपुर के शासकीय मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) रेफर की गई एक गर्भवती महिला का प्रसव अत्यंत गंभीर परिस्थितियों में एम्बुलेंस के अंदर ही सफलतापूर्वक कराया गया।
डॉक्टर और एम्बुलेंस चालक की तत्परता और सूझबूझ के चलते उच्च रक्तचाप से जूझ रही माँ और नवजात शिशु दोनों को सुरक्षित जीवनदान मिला। रविवार, 14 दिसंबर को 31 वर्षीय सुषमा भरत ठोंबरे को प्रसव पूर्व जटिलताओं के कारण नागपुर ले जाना आवश्यक था। दोपहर 3:40 बजे उप-जिला अस्पताल, साकोली की 108 एम्बुलेंस नंबर एमएच-14/सीएल 1089 उन्हें लेकर रवाना हुई।
एम्बुलेंस में डॉक्टर डॉ. निहाल पारधी और चालक नितिन ठाकरे तैनात थे। नागपुर की ओर बढ़ते समय सुषमा ठोंबरे को अचानक तेज प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। इसी दौरान उनका रक्तचाप तेजी से बढ़ गया, जिसने स्थिति को जानलेवा बना दिया।
डॉ. निहाल पारधी ने महसूस किया कि अस्पताल तक पहुँचना संभव नहीं है और क्षण भर की देरी भी खतरनाक हो सकती है। उन्होंने बिना विलंब किए, एम्बुलेंस की सीमित सुविधाओं में ही आवश्यक सपोर्ट और चिकित्सा कौशल का उपयोग करते हुए, अत्यंत जोखिम भरी अवस्था में महिला का सफल प्राकृतिक प्रसव कराया।
शाम 5:20 बजे प्रसव प्रक्रिया सफलतापूर्वक संपन्न हुई। डॉ. पारधी और चालक नितीन ठाकरे की त्वरित निर्णय क्षमता और साहस की सर्वत्र सराहना हो रही है। डॉ. पारधी ने प्रतिक्रिया देते हुए बताया, वह क्षण हमारी कसोटी का था, क्योंकि रक्तचाप बढ़ा हुआ था। हमने तय किया कि समय गंवाए बिना एम्बुलेंस को ही अस्थाई प्रसव कक्ष बनाना होगा। चालक नितीन ठाकरे के उत्तम सहयोग से ही हम यह जोखिमपूर्ण प्रसव सफलतापूर्वक करा पाए।
जिला प्रबंधक प्राजक्ता खंडाईत ने बताया कि 108 एम्बुलेंस सेवा भंडारा जिले में ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था का महत्वपूर्ण आधार बन चुकी है। अप्रैल से नवंबर 2025 तक, इस सेवा ने 8 महीनों की अवधि में 4,375 नागरिकों को आपातकालीन सहायता देकर जीवनदान दिया है।
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इनमें 713 महिलाएँ गर्भावस्था/मातृत्व संबंधी सहायता के लिए सुरक्षित रूप से अस्पताल पहुंचीं, जबकि 514 गंभीर और घायल मरीजों के प्राण बचाए गए। यह घटना दर्शाती है कि जिले की 108 एम्बुलेंस सेवा, जिसमें एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट (एएलएस) और बेसिक लाइफ सपोर्ट (बीएलएस) दोनों प्रकार के वाहन शामिल हैं, वास्तव में ग्रामीण जनता के लिए एक मजबूत और जीवनदायी स्वास्थ्य कवच है।