I Love Mohammad कार्यक्रम में मौलाना (Image- Screen Capture)
Maulana Viral Video: उत्तर प्रदेश के कानपुर से शुरू हुआ ‘आई लव मोहम्मद’ पोस्टर विवाद अब देश के कई हिस्सों में फैल चुका है। इसी सिलसिले में महाराष्ट्र के बीड जिले के माजलगांव में आयोजित ‘आई लव मोहम्मद’ कार्यक्रम के दौरान एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया। इस कार्यक्रम में मौजूद एक मौलाना ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ आपत्तिजनक और भड़काऊ बयान दे डाला।
मौलाना अशफाक निसार शेख ने मंच से सीएम योगी को माजलगांव की मुस्तफा मस्जिद आने की चुनौती दी और कहा कि यदि वे वहां आए तो उन्हें वहीं दफना दिया जाएगा। मंच से दिए गए इस धमकी भरे बयान का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के प्रवक्ता कृष्णा हेगड़े ने मौलाना के भाषण को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि यह बयान बेहद उकसाने वाला है और इसके जरिए दो समुदायों के बीच तनाव फैलाने की कोशिश की गई है। हेगड़े ने यह भी मांग की कि पुलिस इस मामले में तत्काल और कड़ी कार्रवाई करे तथा संबंधित व्यक्ति को हिरासत में लिया जाए। हालांकि, अब तक माजलगांव पुलिस स्टेशन में इस घटना को लेकर कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।
“सीधा उठाकर दफना देंगे”, महाराष्ट्र के बीड से मौलाना ने दी CM योगी को धमकी #ILoveMuhammad #viralvideo #Maharashtra @Uppolice @BEEDPOLICE @DGPMaharashtra pic.twitter.com/DZRwi43eSf — Arpit shukla ✍🏽 (@JournoArpit) September 26, 2025
‘आई लव मोहम्मद’ नामक अभियान की शुरुआत उत्तर प्रदेश के कानपुर के रावतपुर इलाके से हुई थी। सितंबर की शुरुआत में बारावफात के जुलूस के दौरान मुस्लिम युवकों ने इस संदेश वाले पोस्टर और बैनर लगाए थे। कुछ हिंदू संगठनों ने इसे नई और आपत्तिजनक परंपरा बताकर विरोध जताया, जिसके चलते इलाके में तनाव का माहौल बन गया।
इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए बैनर हटवाए और 15 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। उन पर धार्मिक भावनाएं भड़काने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने जैसी धाराएं लगाई गईं।
कानपुर की घटना के बाद यह अभियान कई अन्य राज्यों में फैल गया। कई मुस्लिम संगठनों ने इसे एक आंदोलन का रूप देते हुए शुक्रवार की नमाज के बाद मस्जिदों के बाहर प्रदर्शन आयोजित किए। इसी क्रम में बीड के माजलगांव में भी कार्यक्रम हुआ, जहां मौलाना का विवादास्पद बयान सामने आया।
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कार्यक्रम के आयोजकों का कहना है कि कानपुर में जिन लोगों ने पोस्टर लगाए थे, उनके खिलाफ की गई कार्रवाई अनुचित थी। उनके अनुसार, इससे न केवल सांप्रदायिक तनाव बढ़ा बल्कि आम नागरिकों के अभिव्यक्ति के अधिकारों का भी हनन हुआ।