प्रियंका चतुर्वेदी, पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप
Maharashtra News: शिवसेना (उद्धव गुट) की नेता और राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने अमेरिका के नए टैरिफ निर्णय को लेकर बीजेपी और केंद्र सरकार पर तीखा तंज कसा। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा, “उठो अनारकली, एक और ट्रंप टैरिफ आ गया है।”
प्रियंका चतुर्वेदी ने इस पोस्ट के जरिए न केवल ट्रंप के टैरिफ की ओर ध्यान खींचा, बल्कि बीजेपी पर भी निशाना साधा। उनके व्यंग्यात्मक अंदाज ने यह संकेत दिया कि केंद्र सरकार को अमेरिका जैसी वैश्विक चुनौतियों के लिए तैयार रहना चाहिए। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने उनके दृष्टिकोण का समर्थन किया, जबकि कुछ ने जेनेरिक दवाओं और भारतीय निर्यात पर संभावित प्रभाव को लेकर चिंता जाहिर की।
प्रियंका का यह संदेश न केवल ट्रंप की लगातार बदलती व्यापार नीतियों की तरफ इशारा था, बल्कि उन्होंने इसे केंद्र सरकार की विदेश नीति और व्यापारिक रणनीतियों पर सवाल उठाने के रूप में भी प्रस्तुत किया। उनके इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर एक बहस छेड़ दी।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1 अक्टूबर 2025 से ब्रांडेड और पेटेंटेड फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट्स पर 100% टैरिफ लगाने की घोषणा की है।
ट्रंप ने स्पष्ट किया कि यदि कोई कंपनी अमेरिका में अपना मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू कर रही है यानी “ब्रेकिंग ग्राउंड” या “अंडर कंस्ट्रक्शन” की स्थिति में है, तो उस पर यह टैरिफ लागू नहीं होगा। इसका मकसद अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना और फिस्कल डेफिसिट को घटाना बताया गया है।
भारत अमेरिका को करीब 30-35% फार्मास्यूटिकल उत्पाद निर्यात करता है, जिसकी कुल कीमत लगभग 30 अरब डॉलर के आसपास है। इस टैरिफ का असर प्रमुख कंपनियों जैसे सन फार्मा, सिप्ला, डॉ. रेड्डीज, ल्यूपिन और बायोकॉन पर सीधा पड़ सकता है।
हालांकि टैरिफ खासकर ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर लागू है, लेकिन भारत की कई कंपनियां अमेरिका में ब्रांडेड फॉर्मुलेशन और जटिल जेनेरिक्स भी निर्यात करती हैं।
टैरिफ की घोषणा के बाद भारतीय फार्मा शेयरों में तेज गिरावट दर्ज की गई। कुछ कंपनियों के शेयर 4% तक नीचे गए, जिनमें सन फार्मा और सिप्ला सबसे अधिक प्रभावित हुईं। वैश्विक स्तर पर जॉनसन एंड जॉनसन, एली लिली और मर्क जैसे शेयरों में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिला।
ट्रंप का “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडा वैश्विक कंपनियों को अमेरिकी ज़मीन पर निवेश करने के लिए बाध्य कर रहा है। भारतीय फार्मा सेक्टर के लिए यह समय रणनीतिक दिशा में बदलाव का है।
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यदि भारत समय पर ठोस कदम नहीं उठाता, तो निर्यात बाज़ार में गिरावट आ सकती है। प्रियंका चतुर्वेदी जैसे जनप्रतिनिधि इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाकर सरकार और नागरिकों का ध्यान वैश्विक व्यापारिक चुनौतियों की ओर आकर्षित कर रहे हैं।