शालार्थ आईडी घोटाला (फाइल फोटो)
Shalarth Scam SIT Investigation: छत्रपति संभाजीनगर राज्य की ‘शालार्थ प्रणाली’ में अपात्र और शिक्षकेतर कर्मचारियों के नाम जोड़कर उन्हें वेतन देने के गंभीर घोटाले की जांच अब और चार महीने तक बढ़ा दी गई है।
सरकार का कहना है कि यह प्रकरण लगातार व्यापक होता जा रहा है, और विभिन्न जिलों से नई शिकायतें सामने आने के कारण विशेष जांच दल (एसआईटी) को निर्धारित समय में जांच पूरी करना संभव नहीं हो पाया था। इसी वजह से एसआईटी को अतिरिक्त अवधि देने का निर्णय लिया गया है।
पिछले कुछ महीनों में नागपुर, नाशिक, जलगांव, बीड़, लातूर, मुंबई और अन्य जिलों से शिकायतें दर्ज हुईं कि शालार्थ प्रणाली में ऐसे व्यक्तियों के नाम शामिल किए गए, जिनकी पात्रता संदिग्ध है या जिनका अस्तित्व ही नहीं है।
आरोप है कि इन नामों के आधार पर गलत तरीके से वेतन जारी किया गया, जिससे सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान होने की आशंका है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने पहले ही एक विशेष जांच दल का गठन किया था।
विभागीय आयुक्त द्वारा भेजे गए पत्र में स्पष्ट किया गया है कि घोटाले का दायरा प्रारंभिक अनुमान से कहीं अधिक बड़ा है। प्राथमिक जांच में कई नई जानकारियां और संदिग्ध प्रक्रियाएं सामने आई हैं, जिनके आधार पर आगे की जांच और विस्तृत रूप से करनी आवश्यक है।
अधिकारियों ने माना कि स्कूलवार रिकॉर्ड की जांच, संदिग्ध कर्मचारियों के दस्तावेजों की पड़ताल, संबंधित अधिकारियों से पूछताछ और वित्तीय लेन-देन की समीक्षा जैसे कई चरण अभी बाकी हैं।
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सरकार के अनुसार, एसआईटी को चार महीने का अतिरिक्त समय देने से जांच अधिक व्यवस्थित तरीके से पूरी हो सकेगी। जांच का अगला चरण जिला-स्तर पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने और घोटाले की सम्पूर्ण श्रृंखला को उजागर करने पर केंद्रित होगा। अधिकारियों का मानना है कि अतिरिक्त समय से पूरे घोटाले की सटीक तस्वीर सामने आएगी और जिम्मेदार व्यक्तियों पर ठोस कार्रवाई सुनिश्चित की जा सकेगी।