प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स: सोशल मीडिया)
Aurangabad News In Hindi: सरकार के महिला व बालविकास विभाग के अंतर्गत कार्यरत 2 आंगनवाड़ी सेविकाओं की बखास्तगी रद्द करते हुए उन्हें पुनः सेवा में शामिल करने का आदेश बॉम्बे उच्च न्यायालय की औरंगाबाद खंडपीठ के न्यायमूर्ति आबासाहेब शिंदे ने दिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, धाराशिव जिले की तेर तहसील के टाकली (ढोकी) स्थित आंगनवाड़ी केंद्र क्र 517 में आंगनवाड़ी सेविका जैनोबी बाबू सैयद व सहायिका शांता दगडू सोनवणे ने 32 वर्ष निष्कलंक सेवा दी थी।
पोषण आहार केंद्र बाहर ले जाने के आरोपों को लेकर – 13 फरवरी 2024 को बालविकास प्रकल्प अधिकारी ने उनकी सेवा समाप्त कर दी। यही नहीं, इसके खिलाफ दाखिल अपील भी जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने 4 मार्च 2025 को खारिज की थी. इसके खिलाफ एड. मनोज शेलके के जरिए याचिका दाखिल की गई।
न्यायालय ने कहा कि सरकार निर्णय 12 अप्रैल 2007 के अनुसार कोई भी कठोर कार्रवाई करने से पहले संबंधित आंगनवाड़ी सेविका में सुधार के लिए एक अवसर देना जरूरी है।
यही नहीं, ग्रामीण प्रकल्प के बारे में उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी की पूर्वमान्यता भी अनिवार्य है। अदालत ने कहा कि संबंधित अधिकारी ने अनिवार्य प्रक्रिया का पालन नहीं किया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह चोरी का मामला नहीं है, बल्कि पोषण आहार केंद्र के बाहर ले जाने का आरोप है।
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इस परिस्थिति में सीधे बर्खास्तगी मनमानी व कानून के खिलाफ होने का निष्कर्ष भी न्यायालय ने निकाला। खंडपीठ ने दोनों आदेश रद्द कर संबंधित आंगनवाड़ी सेविका व सहायिका को 4 सप्ताह के भीतर पुनः सेवा में लेने का आदेश भी दिया।