अचलपुर. शहर के ऐतिहासिक परकोटे के बिच चलने वाली जिला परिषद उर्दू मराठी शाला इन दिनों अपने आखिरी दिन गिन रही है. जिला परिषद शिक्षण विभाग की लापरवाही के कारण यह शाला अब बंद होने की कगार पर पहुंच गई है. 20 जून 1869 में बनी ऐतिहासिक जिला परिषद् स्कुल में शिक्षकों की भारी कमी होने के कारण अभिभावक लगातार अपने बच्चों की टीसी यहां से निकाल रहे हैं.
2 वर्ष कोरोना के रहने के को कारण वैसे ही स्कुल बंद थी. लेकिन स्कुल खुलते ही जिला परिषद के शिक्षण विभाग ने जरूरत ना रहते हुए भी यहां के शिक्षकों के तबादले कर दिए. नियम के अनुसार शिक्षकों की बदली के पूर्व यहां पर शिक्षकों का नियोजन किया जाना था. लेकिन सभी नियमों को ताक पर रखकर शिक्षकों की बदली पर ही खर्च कर दी गई. शिक्षक जिला परिषद उर्दू स्कुल में 6 कक्षा है. लेकिन मात्र एक शिक्षक ही इन वर्गों को संभाल रहा है.
6 शिक्षकों की जरुरत होने के बावजूद भी मात्र एक ही शिक्षक यहां पर सेवा दे रहा है. ऐसे में लगातार पट संख्या कम हो रहीं है. विशेष बात यह है कि जिला परिषद व्दारा यहां पर पांचवी बंद कर दिए जाने से बच्चों का शैक्षणिक नुकसान हो रहा है, जिसे लेकर अभिभावकों में शिक्षण अधिकारी को लेकर भारी रोष देखा जा रहा है.
वैकल्पिक व्यवस्था ना करते जिला परिषद स्कूल अचलपुर के शिक्षकों की बदलियां कर दी गई है. यहीं नहीं तो कम शिक्षक होने के बावजूद भी यह बदलियां की गई, उर्दू विद्यार्थियों को शिक्षा से वंचित रखने जिला परिषद के भेदभाव पूर्ण रवैए पर अचलपुर शहर के सामजिक कार्यकर्ताओं ने भी अपनी नाराजगी दर्ज करवाई है. साथ ही जिम्मेदार शिक्षण अधिकारी पर कार्रवाई की जाने की भी मांग की गई है.