फिनले मिल बंद क्यों! (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Amravati News: अमरावती जिले का सबसे बड़ी तहसील अचलपुर जहां कृषि, उद्योग और व्यापार की अपार संभावनाएं हैं, वही आज गहरी बेरोजगारी और कुशल कामगारों की आत्महत्याओं से जूझ रहा है। इसका प्रमुख कारण है फिनले मिल का बंद होना। 2009 में स्थापित और 2011 से उत्पादन शुरू करने वाली यह मिल हर वर्ष औसतन 13 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमा रही थी।
लेकिन कोरोना काल में बंद हुई फिनले मिल आज तक शुरू नहीं हो सकी है। इसके चलते करीब 1,000 सीधे और 2,000 से अधिक अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े मजदूरों की आजीविका पर संकट छाया हुआ है। कई कुशल कामगारों ने बेरोजगारी के चलते आत्महत्या जैसा कठोर कदम भी उठाया है। फिनले मिल के मजदूर लगातार आंदोलन कर सरकार और समाज का ध्यान खींचने की कोशिश कर रहे हैं।
गिरणी कामगार संगठन के सदस्य राजेश गौड ने बताया कि काम बंद होने के बाद केवल आधा वेतन दिया गया, बाकी का आज तक कोई हिसाब नहीं। दिवाली के मौके पर भी मजदूरों को बोनस या वेतन नहीं मिलता, जिससे उनका त्योहार बेरंग हो जाता है। फिनले मिल को लंबे रेशे वाले कपास की आवश्यकता होती है, जिसे अब तक गुजरात से मंगवाया जाता था। लेकिन अमरावती और अचलपुर क्षेत्र में ही भरपूर कपास उत्पादन होता है।
अगर यहां के किसानों को उपयुक्त बीज और तकनीक दी जाए तो स्थानीय स्तर पर ही गुणवत्तायुक्त कपास उपलब्ध हो सकता है, जिससे गुजरात से आयात की आवश्यकता नहीं रहेगी और मिल को ज्यादा लाभ मिल सकता है।
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पूर्व राज्यमंत्री वसुधा देशमुख ने मुख्यमंत्री और राजस्व मंत्री से आग्रह किया है कि मजदूरों को उनका हक दिलाया जाए और मिल को दोबारा शुरू किया जाए। उन्होंने कहा कि, फिनले मिल का पुनरारंभ केवल रोजगार का प्रश्न नहीं, बल्कि अचलपुर के विकास और सामाजिक न्याय का मुद्दा है।
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि फिनले मिल की नींव उनके कार्यकाल में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल, शरद पवार, वाघेला, विलासराव देशमुख और जयंत पाटील जैसे दिग्गज नेताओं के सहयोग से रखी गई थी। लगभग 326 करोड़ रुपये की लागत से शुरू की गई इस मिल ने न केवल उत्पादन में सफलता पाई, बल्कि हजारों परिवारों को आर्थिक संबल भी दिया।