मेलघाट में 'दीपाली चव्हाण' मामले की पुनरावृत्ति। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
अमरावती: मेलघाट मध्य वनविभाग में कार्यरत एक महिला रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर (RFO) के यौन उत्पीड़न के मामले में एक वनरक्षक को निलंबित कर दिया गया है और मामले की जांच शुरू की गई है। लेकिन इसी के साथ कुछ गैर-मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठन, महिला अधिकारी को बदनाम करने और झूठे आरोप लगाने का प्रयास कर रहे हैं।
बताया गया है कि इन बोगस संगठनों के पदाधिकारी और नेता, जो अपने कर्तव्यों से दूर हैं, संगठन के बैनर का उपयोग कर महिला अधिकारी पर दबाव बना रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ अशोभनीय और अपमानजनक टिप्पणियां की जा रही हैं। इस मानसिक प्रताड़ना से तंग आकर पीड़िता RFO ने राज्य महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में उन्होंने सोशल मीडिया की पोस्ट और झूठे आरोपों की प्रतियां भी संलग्न की हैं।
महिला RFO का कहना है कि उन्हें बार-बार शिकायत वापस लेने के लिए मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। यदि विभाग में आधी संख्या महिला अधिकारियों की होते हुए भी सुरक्षा की ऐसी स्थिति है, तो भविष्य में कई और ‘दीपाली चव्हाण’ जैसे मामले सामने आने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
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इस गंभीर मामले में विशाखा समिति ने जांच शुरू कर दी है। यह समिति 5 सदस्यों की है और इसमें उपवन संरक्षक दिव्या भारती अध्यक्ष के तौर पर कार्यरत हैं। महिला RFO का बयान 12 मई को दर्ज किया जाएगा।
यह पहला मामला नहीं है। अमरावती में एक साल पहले एक उपवन संरक्षक (DCF) पर भी एक महिला RFO ने गंभीर आरोप लगाए थे। लेकिन उस अधिकारी की सिर्फ नागपुर वन भवन में पदस्थापना कर दी गई, जबकि शिकायतकर्ता RFO को अन्य मामलों में फंसाने की कोशिश की जा रही है। हालांकि नियमों के अनुसार ऐसी किसी भी शिकायत की जांच 90 दिनों में पूरी होनी चाहिए, लेकिन एक साल बीत जाने के बावजूद यह मामला अब तक अधूरा है। अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या पीड़िता को कभी न्याय मिलेगा या यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला जाएगा।