
शरद पवार और देवेंद्र फडणवीस (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Pune Land Controversy: राकांपा (एसपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का हवाला देते हुए अपने पोते पार्थ पवार की कंपनी से कथित तौर पर जुड़े विवादास्पद भूमि सौदे की जांच का शनिवार को समर्थन किया। पवार ने कहा कि मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि मामला गंभीर है इसलिए उन्हें जांच करानी चाहिए और तथ्यों को समाज के सामने रखना चाहिए।
पुणे के पॉश मुंधवा इलाके में 300 करोड़ रुपये में 40 एकड़ जमीन की बिक्री के सौदे ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। यह जमीन अमाडिया एंटरप्राइजेज एलएलपी नामक कंपनी को बेची गई थी जिसमें उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार भागीदार हैं। यह जमीन सरकारी बताई जा रही है और इस सौदे में आवश्यक स्टांप ड्यूटी भी माफ कर दी गई थी।
विपक्षी दलों का आरोप है कि संबंधित जमीन की वास्तविक कीमत करीब 1,800 करोड़ रुपये है। अजित पवार ने इस लेन-देन से खुद को अलग कर लिया है। जब उनसे पूछा गया कि क्या उनके भतीजे अजित पवार को महायुति के सहयोगी राजनीतिक रूप से निशाना बना रहे हैं तो वरिष्ठ पवार ने कहा कि मुझे नहीं पता। शरद पवार अपनी बेटी और सांसद सुप्रिया सुले की पार्थ पर की गई टिप्पणी से भी असहमत दिखे।
सुले ने कहा था कि उन्हें नहीं लगता कि पार्थ कुछ गलत करेंगे। शरद पवार ने कहा कि यह उनका (सुप्रिया का) विचार हो सकता है। उन्होंने कहा कि प्रशासन, राजनीति और परिवार अलग-अलग हैं। पवार ने कहा कि एक परिवार के रूप में हम (पवार) एक हैं लेकिन हम वैचारिक रूप से विभाजित हैं। मेरे एक पोते ने अजित पवार के खिलाफ चुनाव लड़ा था और अजित पवार की पत्नी ने मेरी बेटी के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि महाराष्ट्र में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों की रणनीति (महा विकास आघाडी सहयोगियों द्वारा) सर्वसम्मति से तय की जाएगी। हम (राकांपा-एसपी) रविवार को बैठक करेंगे और अपनी रणनीति एवं नए सहयोगियों को अपने गठबंधन में शामिल करने पर फैसला करेंगे। उन्होंने राज ठाकरे के नेतृत्व वाली मनसे को विपक्षी खेमे में लेने का भी संकेत दिया।
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पवार ने कहा कि अगर एमवीए में आम सहमति से कोई अच्छा विकल्प सामने आता है तो कांग्रेस पार्टी को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना पर तीखा रुख नहीं अपनाना चाहिए और इस बारे में सोचना चाहिए। हम इस पर कल चर्चा करेंगे। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आरोप लगाया कि महायुति सरकार फसल नुकसान और कर्ज से जूझ रहे किसानों की दुर्दशा को लेकर चिंतित नहीं दिखती। छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्य में मेहनती लोग और किसान रहते थे।
शिवाजी महाराज ने हमेशा किसानों का ध्यान रखा लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है। भारी बारिश से प्रभावित किसानों के लिए राज्य सरकार द्वारा घोषित सहायता अभी तक उनमें से कई तक नहीं पहुंची है। पवार ने सरकार द्वारा राहत पैकेज की घोषणा को धोखाधड़ी जैसा बताते हुए कहा कि जिन किसानों को अप्रैल में बेमौसम बारिश के लिए वित्तीय सहायता मिली थी, उन्हें अब कुछ भी नहीं मिला है।
पवार ने कहा कि किसानों की कर्जमाफी की घोषणा भ्रामक लगती है। पूर्व विधायक बच्चू कडू के नेतृत्व में जारी आंदोलन के बीच मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा था कि राज्य सरकार 30 जून, 2026 तक कृषि कर्ज माफी पर फैसला लेगी।






