जरूरतमंद कर्णबधिर बालक को मिला श्रवण का ‘सामर्थ्य’
Akola District: दिवाली के पावन अवसर पर वंचित, जरूरतमंद और निराधार नागरिकों के जीवन में आनंद भरने के उद्देश्य से सामर्थ्य फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘सामाजिक उपक्रम की दिवाली भोर’ कार्यक्रम ने एक बार फिर समाजसेवा का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया। पिछले तीन वर्षों से निरंतर चल रहे इस उपक्रम के अंतर्गत इस वर्ष एकविरा फाउंडेशन द्वारा संचालित बालविकास केंद्र के एक कर्णबधिर बालक कैवल्य घनोकार को श्रवण यंत्र प्रदान कर सुनने की क्षमता दी गई। इस भावस्पर्शी क्षण में बालक के चेहरे पर खिली मुस्कान ने उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों को भावविभोर कर दिया।
कार्यक्रम का उद्देश्य दिवाली जैसे आनंदमय पर्व का उल्लास समाज के हर वर्ग तक पहुँचाना था, विशेषकर उन बच्चों तक जो शारीरिक या आर्थिक रूप से वंचित हैं। कार्यक्रम में एकविरा फाउंडेशन के श्रीकांत बनसोड, सूचिता बनसोड, विश्वस्त दीपक जोशी, सामर्थ्य फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रबोध देशपांडे, वरिष्ठ उपाध्यक्ष विनोद देव, कनिष्ठ उपाध्यक्ष प्रवीण पलसपगार, सचिव डॉ. गजानन वाघोडे, कोषाध्यक्ष रवींद्र बुलनकर, सहकोषाध्यक्ष प्रशांत चालीसगांवकर, सहसचिव सूर्यकांत बुडखले, एड। संतोष भोरे, अविनाश परलीकर सहित अनेक कार्यकारिणी सदस्य उपस्थित थे।
इस अवसर पर अध्यक्ष प्रबोध देशपांडे ने कहा कि जन्म से कर्णबधिर बालक को श्रवण यंत्र देकर उसके जीवन में नया ‘सामर्थ्य’ निर्माण करना समाज के लिए प्रेरणादायी कार्य है। प्रमोद रत्नपारखी ने संस्था के कार्य को कर्णबधिरों को सशक्त बनाने वाला बताया। मानसी देव ने सुरेल प्रार्थना प्रस्तुत की, जबकि प्रणोती बुरघाटे ने कार्यक्रम का संचालन किया और योगिता बोधडे ने आभार प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में दिव्यांग फाउंडेशन की डॉ. सुवर्णा भोपले, अस्मिता मिश्रा, प्राजक्ता देशपांडे, प्रसिद्धी देशपांडे सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता और नागरिक उपस्थित थे। सभी ने सामर्थ्य फाउंडेशन के इस प्रयास की सराहना की।
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कार्यक्रम की विशेष आकर्षण रहा कर्णबधिर बालक द्वारा प्रस्तुत दिवाली पर्व का नेत्रदीपक प्रस्तुतिकरण। वसुबारस से लेकर भाईदूज तक दिवाली के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हुए बच्चों ने अपनी कला और वेशभूषा से सभी का मन मोह लिया। इस आयोजन ने यह सिद्ध किया कि दिवाली का असली आनंद तब होता है जब वह समाज के हर वर्ग तक पहुँचे। सामर्थ्य फाउंडेशन का यह प्रयास न केवल एक बालक को श्रवण का सामर्थ्य देने वाला था, बल्कि समाज को संवेदनशीलता, करुणा और समता का संदेश देने वाला भी था।