अकोला में जलकर (सौजन्य-नवभारत)
Akola News: अकोला महानगरपालिका क्षेत्र के लगभग 66 हजार नलधारकों ने जलकर भुगतान से किनारा कर लिया है, जिससे आर्थिक संकट से जूझ रही मनपा को जलापूर्ति योजना संचालित करना बेहद कठिन हो गया है। हैरानी की बात यह है कि अब तक केवल 4,276 नलधारकों ने नियमित रूप से जलकर का भुगतान किया है। मनपा की जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराए, जिसमें जलापूर्ति एक प्रमुख सेवा है।
वहीं नागरिकों का भी कर्तव्य है कि वे समय पर करों का भुगतान करें। जलापूर्ति योजना भले ही “ना लाभ, ना हानि” के सिद्धांत पर चलाई जाती हो, लेकिन वास्तविकता में मनपा को लगातार घाटा उठाना पड़ रहा है। शहर को 32 किमी दूर स्थित काटेपूर्णा जलप्रकल्प से पानी की आपूर्ति की जाती है।
बार्शीटाकली तहसील के महान क्षेत्र में 25 एमएलडी और 65 एमएलडी क्षमता के दो जलशुद्धिकरण केंद्र हैं, जिनसे 600 मिमी और 900 मिमी व्यास की जलवाहिनियों द्वारा 24 घंटे पानी की आपूर्ति होती है। वर्षभर की जलापूर्ति के लिए 26.50 मिलियन घनमीटर पानी की आवश्यकता होती है, जिसके लिए मनपा को प्रति मिलियन घनमीटर 5.50 लाख रु. का शुल्क देना पड़ता है। अन्य खर्चों को मिलाकर जलापूर्ति योजना पर सालाना 21 से 22 करोड़ रु. का खर्च होता है।
मनपा के जलापूर्ति विभाग के अनुसार, कुल नलधारकों की संख्या 70 हजार है। जिन नलों पर मीटर लगे हैं उनसे 120 रु. प्रति माह और बिना मीटर वाले नलों से 300 रु. प्रति माह जलकर वसूला जाता है। वर्ष 2017 से जलकर दरों में कोई वृद्धि नहीं की गई है, फिर भी अधिकांश नलधारक भुगतान नहीं कर रहे हैं, जिससे योजना लगातार घाटे में चल रही है।
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मनपा क्षेत्र में 1.60 लाख से अधिक संपत्तियां हैं, जबकि अधिकृत नलधारकों की संख्या केवल 70 हजार है। इससे यह स्पष्ट होता है कि शहर में हजारों अवैध नल कनेक्शन मौजूद हैं। वर्ष 2017 से नलों पर मीटर लगाने का कार्य शुरू हुआ, लेकिन मीटर रीडिंग और बिल वितरण की प्रक्रिया में प्रशासनिक समन्वय नहीं बन पाया।
अमृत योजना के पहले चरण में जिन क्षेत्रों में नई जलवाहिनियां डाली गईं, वहां के नए नलधारकों को अब तक मीटर रीडिंग के आधार पर बिल नहीं दिया गया है। साथ ही कई मामलों में गलत बिल दिए जाने के कारण भी नागरिकों ने जलकर का भुगतान नहीं किया है।