गोपाष्टमी का धार्मिक संदर्भ भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा (सौजन्य- सोशल मीडिया)
Akola Gopashtami: गोपाष्टमी का पर्व हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक महत्व रखता है। यह पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष गोपाष्टमी गुरुवार, 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन गौ माता की पूजा की जाती है और उन्हें हरा चारा अर्पित किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास होता है, इसलिए इसे अत्यंत पवित्र माना गया है।
गोपाष्टमी का ऐतिहासिक और धार्मिक संदर्भ भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है। जब श्रीकृष्ण अपने जीवन के छठे वर्ष में प्रवेश कर रहे थे, तब उन्होंने माता यशोदा से कहा कि वे अब बड़े हो गए हैं और गायों को चराने जाना चाहते हैं। इसी घटना की स्मृति में गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। यह दिन गोसेवा, गौपूजन और गौसंरक्षण के संकल्प का प्रतीक माना जाता है।
गोपाष्टमी के अवसर पर स्थानीय गौशालाओं और घरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं। गायों को सजाया जाता है, उन्हें स्नान कराकर सुंदर वस्त्रों और फूलों से अलंकृत किया जाता है। इसके बाद गौ माता की आरती की जाती है और हवन व पूजन के माध्यम से उनका सम्मान किया जाता है। भक्तजन इस दिन व्रत रखते हैं और गोसेवा का संकल्प लेते हैं।
गोपाष्टमी के अगले दिन, कार्तिक शुक्ल नवमी को आंवला नवमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु और शिव को प्रसन्न करने के लिए आंवले के वृक्ष की पूजा की थी।
आंवला का वृक्ष तुलसी और बेलपत्र के समान पवित्र माना गया है तथा इसे विष्णु और शिव का प्रतीक समझा जाता है। आंवला नवमी के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर विधिवत पूजा-अर्चना करती हैं। यह पर्व हेमंत ऋतु की विदाई और शरद ऋतु के आगमन का संकेत देता है।
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आयुर्वेद के अनुसार, आंवला में लवण को छोड़कर पांच रस पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। इस मौसम में आंवले का सेवन स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से लाभदायक माना जाता है।
गोपाष्टमी और आंवला नवमी दोनों पर्व भारतीय संस्कृति की गहराई, प्रकृति के प्रति सम्मान और धार्मिक आस्था का सुंदर संगम प्रस्तुत करते हैं। गोपाष्टमी जहां गोसेवा और कृष्ण भक्ति का प्रतीक है, वहीं आंवला नवमी प्रकृति की पूजा और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का संदेश देती है।