
अजित पवार, नरहरि झिरवल व संजय राउत (डिजाइन फाेटो)
मुंबई: उपमुख्यमंत्री अजित पवार की एनसीपी में मंत्री पद को लेकर नेताओं का असंतोष खत्म ही नहीं हो रहा है। मंत्री पद नहीं मिलने से एनसीपी के विधायक व पूर्व मंत्री छगन भुजबल नाराज हैं तो वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता नरहरि झिरवल कैबिनेट मंत्री व पालकमंत्री बनने के बाद भी खुश नहीं हैं।
अपने जिले के बजाय हिंगोली का पालकमंत्री पद दिए जाने से नाराज झिरवल अपने आक्रोश पर नियंत्रण नहीं रख पाए और गणतंत्र दिवस के मौके पर उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कह दिया कि एक गरीब विधायक को गरीब जिले का पालक मंत्री बनाया है। उनके बयान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति गरमाने लगी है। खुद अजित पवार ने झिरवल की क्लास लगाते हुए सार्वजनिक तौर पर ऐसे बयानों से बचने की सलाह दी।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्ववाली महायुति सरकार 2.0 में उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने नरहरि झिरवल को अन्न एवं औषधि प्रशासन जैसे महत्वपूर्ण विभाग का मंत्री बना दिया। इसके लिए अजित का आभार मानने के बाद भी झिरवल खुश नहीं हुए। क्योंकि वह आदिवासी विभाग का मंत्री बनना चाहते थे।
पालकमंत्री बने झिरवल ने वसमत विधायक राजू नवघरे द्वारा आयोजित अपने सम्मान समारोह में कहा कि मैं पहली बार मंत्री और पालक मंत्री बना हूं। जब मैं यहां आया तो मुझे एहसास हुआ कि मुझ जैसे गरीब व्यक्ति को हिंगोली जैसे गरीब जिले का संरक्षक मंत्री बनाया गया है। इसलिए अब जब मैं मुंबई जाऊंगा तो अपने वरिष्ठों से पूछूंगा कि आपने एक गरीब व्यक्ति को एक गरीब जिला क्यों दिया?
शिवसेना (यूबीटी) के सांसद व प्रवक्ता संजय राउत ने एनसीपी नेता नरहरि झिरवल के बयान पर तंज कसते हुए कहा कि झिरवल को गरीब कहना गौतम अडानी का अपमान है। शरद पवार की पीठ में छुरा घोंपा, गरीब को यह याद नहीं है।
पालकमंत्री संबंधित जिले का प्रमुख होता है। पालक मंत्री को शासन और प्रशासन की दृष्टिकोण से जिले पर नियंत्रण रखने का अवसर मिलता है। उसे जनता, सरकार और प्रशासन के प्रतिनिधि के रूप में काम करके कार्यकर्ताओं को मजबूत बनाने और पार्टी को घर-घर तक पहुंचाने का अवसर मिलता है। इसलिए ज्यादातर मंत्री अपने जिले का पालकमंत्री बनने का प्रयास करते हैं।
हिंगोली के पालकमंत्री पद को लेकर दिए गए झिरवल के बयान के बाद यह चर्चा शुरू हो गई है कि नेता मलाई काटने के लिए पालकमंत्री बनना चाहते हैं। क्योंकि पालक मंत्री योजना समिति (डीपीसी) का अध्यक्ष भी होता है। ऐसे में विकास के लिए निर्धारित जिले के बजट पर भी कई मंत्रियों की नजर होती है।
गरीब जिला क्या होता है? ऐसे सवाल पूछते हुए स्थानीय लोग झिरवल को नसीहत दे रहे हैं कि किसी जिले में बुनियादी ढांचे के विकास का अभाव, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छ जल आपूर्ति और रोजगार जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की जिम्मेदारी संबंधित निर्वाचित जनप्रतिनिधि, मंत्री एवं पालक मंत्री की होती है।
जिला गरीब है या अमीर, यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि वहां के नेता और मंत्री कैसे हैं। इसलिए मिले अवसर को बर्बाद करने के बजाय काम को प्राथमिकता दें अन्यथा, पांच साल में फिर चुनाव होंगे। तो वहीं अजित पवार की फटकार के बाद झिरवल ने कहा है कि मेरी बातों का गलत अर्थ लगाया गया है।
महाराष्ट्र की अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मंत्री नरहरि झिरवल को फटकार लगाते हुए कहा कि ऐसा कुछ नहीं होगा। ऐसा बयान देना उचित नहीं है। यदि मंगलवार को हमारी बैठक होगी और उन्हें कोई गलतफहमी हुई है तो वे उस पर चर्चा करके उसका समाधान करेंगे।






