
शनैश्वर मंदिर का प्रशासन फिर बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज़ को सौंपा गया (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Aurangabad High Court Order: अहिल्यानगर के प्रसिद्ध श्री शनैश्वर देवस्थान ट्रस्ट से जुड़ा कानूनी विवाद आखिरकार समाप्त हो गया है। बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ ने इस मामले में स्पष्ट आदेश देते हुए मंदिर का प्रशासन पुनः बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज़ को सौंपने का निर्देश दिया है। ट्रस्ट के सचिव अप्पासाहेब शेटे के अनुसार, कुछ महीने पहले राज्य सरकार ने ट्रस्ट के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज़ को भंग कर जिलाधिकारी डॉ. पंकज आसिया को प्रशासक (एडमिनिस्ट्रेटर) नियुक्त कर दिया था। इसके बाद प्रशासक के अधीन उपजिलाधिकारी और स्थानीय अधिकारियों की एक कार्यकारी समिति (एग्जीक्यूटिव कमेटी) गठित की गई और मंदिर का संचालन उसी के माध्यम से किया जाने लगा।
हालांकि, बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज़ के अध्यक्ष भगवत बनकर ने इस निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में उन्होंने तर्क दिया कि श्री शनैश्वर देवस्थान ट्रस्ट अधिनियम, 2018 में प्रशासक नियुक्त करने का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासक की नियुक्ति और उसके अधीन बनाई गई कार्यकारी समिति कानूनसम्मत नहीं है। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के 22 सितंबर 2025 के आदेश को रद्द कर दिया और मंदिर का प्रशासन तत्काल प्रभाव से बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज़ को सौंपने का आदेश दिया।
यह पूरा विवाद भ्रष्टाचार के आरोपों से शुरू हुआ था। भाजपा विधायक सुरेश धास ने ट्रस्ट में 500 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया था, जबकि स्थानीय विधायक विट्ठलराव लांघे ने 100 करोड़ रुपये के घोटाले का दावा किया था। इसी दौरान एक फर्जी ऐप घोटाले का मामला भी सामने आया था, जिसमें केस दर्ज कर कुछ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तब मामले की गहन जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया था।
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हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार, जिलाधिकारी और उनकी बनाई गई प्रशासकीय समिति को सात दिनों के भीतर मंदिर की संपत्ति और वित्तीय प्रबंधन से जुड़े सभी दस्तावेज और अधिकार पूर्व बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज़ को सौंपने होंगे। साथ ही, नए नियम बनाए जाने तक पुराना बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज़ ही मंदिर का प्रशासन संभालेगा। इस फैसले से शनैश्वर मंदिर के प्रबंधन को लेकर चल रहे राजनीतिक और कानूनी विवाद पर विराम लगने की उम्मीद है और मंदिर का संचालन अब नियमित एवं पारदर्शी ढंग से हो सकेगा।






