सदन में कृषि मंत्री का 'रम्मी' खेल! (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Manikrao Kokate News: राज्य जहां किसानों की गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है, वहीं राज्य के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे का विधानसभा में मोबाइल फोन पर रमी खेलते हुए एक वीडियो ने हडकंप मचा दिया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के विधायक रोहित पवार ने यह वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, जिससे सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच नया विवाद छिड़ गया है।
विधायक रोहित पवार ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर यह वीडियो शेयर करते हुए सत्ताधारी पार्टी पर कड़ा हमला बोला है। उन्होंने अपने पोस्ट में कहा, “सत्ता में बैठा राष्ट्रवादी समूह भाजपा से पूछे बिना कुछ नहीं कर सकता। इसीलिए, जब कृषि से जुड़े अनगिनत मुद्दे लंबित हैं, और राज्य में हर दिन 8 किसान आत्महत्या कर रहे हैं, तब भी कोई काम नहीं हो रहा है, तो कृषि मंत्री पर रमी खेलने का समय आ गया है।”
रोहित पवार ने अपनी पोस्ट में कहा कि ‘सत्तारूढ़ राष्ट्रवादी समूह भाजपा से पूछे बिना कुछ नहीं कर सकता, इसीलिए, जबकि कृषि संबंधी अनगिनत मुद्दे लंबित हैं, और जब राज्य में हर रोज़ 8 किसान आत्महत्या कर रहे हैं, तब भी कोई काम नहीं हो रहा है, कृषि मंत्री पर रम्मी खेलने का समय आ गया है। क्या इन गुमराह मंत्रियों और सरकार से फसल बीमा, कर्जमाफी और हृदय परिवर्तन की मांग कर रहे किसान की “कभी गरीब किसानो कीं खेतीपर भी आओ ना महाराज” यह पुकार कभी सुनाई देगी।
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इस मामले ने राज्य में किसानों के मुद्दों पर चल रही राजनीति को एक अलग मोड़ दे दिया है। रोहित पवार ने अपनी पोस्ट में आगे कहा कि “क्या ये गुमराह मंत्री और सरकार फसल बीमा, कर्जमाफी और भावांतर योजना की मांग कर रहे किसानों की पुकार सुन पाएंगे, ‘कभी गरीब किसान की खेती पर भी आओ ना महाराज?'” उन्होंने सीधा सवाल उठाया है।
“#जंगली_रमी_पे_आओ_ना_महाराज…!”
सत्तेतल्या राष्ट्रवादी गटाला भाजपला विचारल्याशिवाय काहीच करता येत नाही म्हणूनच शेतीचे असंख्य प्रश्न प्रलंबित असताना, राज्यात रोज ८ शेतकरी आत्महत्या करत असताना सुद्धा काही कामच नसल्याने कृषिमंत्र्यांवर रमी खेळण्याची वेळ येत असावी.
रस्ता भरकटलेल्या… pic.twitter.com/52jz7eTAtq
— Rohit Pawar (@RRPSpeaks) July 20, 2025
पवार के इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर कई प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है। किसी एक युजर ने कहा कि “किसान रोज़ आत्महत्या कर रहे हैं, और सत्ताधारी दल जनता के सवाल सुनने की बजाय मोबाइल पर गेम खेलने में व्यस्त है! अगर जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि ही ज़िम्मेदारी से काम नहीं करेंगे, तो किसानों का दर्द कौन सुनेगा? ‘तुम्हारे महाराज खेतों में कब आएंगे’, ये पुकार अब नारा नहीं, हकीकत बननी चाहिए!”