आरती साठे बनीं बॉम्बे हाईकोर्ट की जज (pic credit; social media)
Aarti Sathe Bombay High Court judge: बॉम्बे हाईकोर्ट को मंगलवार (19 अगस्त) को तीन नए जज मिले। इनमें वरिष्ठ वकील और बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता आरती अरुण साठे भी शामिल हैं। चीफ जस्टिस आलोक अराधे ने अधिवक्ता आरती साठे, अजीत कदेतनकर और सुशील घोडेस्वर को जज पद की शपथ दिलाई। आरती साठे ने अंग्रेजी में शपथ ली। अब बॉम्बे हाईकोर्ट में जजों की संख्या बढ़कर 69 हो गई है।
आरती साठे की नियुक्ति पर पहले से ही चर्चा और सवाल उठ रहे थे। क्योंकि वह फरवरी 2023 से जनवरी 2024 तक महाराष्ट्र बीजेपी की प्रवक्ता रह चुकी हैं। विपक्ष ने इस आधार पर उनकी नियुक्ति पर सवाल खड़े किए थे। एनसीपी (एसपी) नेता रोहित पवार ने खुलकर आपत्ति जताते हुए न्यायपालिका की निष्पक्षता पर चिंता जाहिर की थी।
हालांकि बीजेपी ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए साफ किया था कि आरती साठे ने पार्टी से पहले ही इस्तीफा दे दिया था और उनकी सिफारिश पूरी तरह उनकी योग्यता के आधार पर हुई है। बीजेपी प्रवक्ता नवनाथ बन ने कहा था कि न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया स्वतंत्र और निष्पक्ष होती है, उसमें किसी भी तरह का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने इसी महीने की शुरुआत में आरती साठे के नाम की सिफारिश की थी, जिसके बाद केंद्र सरकार ने 13 अगस्त को उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी की। शपथ लेने के बाद जस्टिस साठे को जस्टिस ए. एस. गडकरी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में शामिल किया गया।
आरती अरुण साठे पेशे से वरिष्ठ वकील हैं और टैक्स विवादों से जुड़े मामलों में उनकी विशेषज्ञता रही है। उन्होंने बीते दो दशकों से कानूनी प्रैक्टिस की है और अपनी मेहनत से पेशेवर पहचान बनाई। उनके पिता, वरिष्ठ वकील अरुण साठे भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और बीजेपी से लंबे समय से जुड़े रहे हैं और पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे।
आरती ने फरवरी 2023 में महाराष्ट्र बीजेपी की प्रवक्ता का पद संभाला था, लेकिन जनवरी 2024 में उन्होंने इस्तीफा देकर फिर से पूर्ण रूप से कानूनी प्रैक्टिस पर ध्यान केंद्रित किया।
बॉम्बे हाईकोर्ट में जजों की स्वीकृत कुल संख्या 94 है। शपथ लेने से पहले यहां 66 जज कार्यरत थे, जिनमें 50 स्थायी और 16 अतिरिक्त जज शामिल थे। मंगलवार को तीन नए जजों के शपथ लेने के बाद संख्या बढ़कर 69 हो गई।
जस्टिस आरती साठे की नियुक्ति ने जहां न्यायपालिका में एक नया चेहरा जोड़ा है, वहीं उनके राजनीतिक अतीत को लेकर उठे सवाल आने वाले समय में भी चर्चा का विषय बने रह सकते हैं।