खंडवा में विसर्जन के दौरान महामातम के पीछे का कारण (फोटो- सोशल मीडिया)
Khandwa Durga Immersion Tragedy: मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन का उल्लास आखिरी दिन चीख-पुकार और मातम में बदल गया, जब एक भयावह हादसे ने 11 जिंदगियों को छीन लिया। पंधाना के अर्दला डैम में गुरुवार शाम हुए इस हादसे ने पूरे जामली गांव को कभी न भरने वाले जख्म दे दिए हैं। मरने वालों में अधिकतर बच्चे और किशोर शामिल हैं, जिनकी उम्र 25 साल से भी कम थी। जो लोग नौ दिनों से घर में विराजमान मां दुर्गा की प्रतिमा को विसर्जित करने गए थे, वे अपने ही बच्चों की लाशें लेकर घर लौटे।
यह दर्दनाक हादसा तब हुआ जब जामली गांव के लोग ट्रैक्टर-ट्रॉली में सवार होकर अर्दला डैम जा रहे थे। रास्ते में डैम के बैकवाटर का पानी एक पुरानी डूबी हुई सड़क पर भरा हुआ था। प्रत्यक्षदर्शी अजय के अनुसार, उसके चाचा दीपक, जो ट्रैक्टर चला रहे थे, ने चेतावनी के बावजूद तेज रफ़्तार से ट्रैक्टर-ट्रॉली को उसी गहरे पानी में उतार दिया। कुछ दूर जाते ही पानी में डूबी एक पुलिया के पास ट्रॉली असंतुलित होकर पलट गई, और उसमें सवार 26 लोगों में से 11 की डूबने से मौत हो गई।
इस हादसे ने कई परिवारों को हमेशा के लिए तोड़ दिया। मृतकों में रेलसिंग की दो बेटियां उर्मिला (15) और किरण (16) तथा प्यारसिंग की दो बेटियां शर्मिला (15) और आरती (18) शामिल हैं। इनके अलावा चंदा (8), आयुष (9), रेवसिंग (13), दिनेश (13), संगीता (16), गणेश (20) और पाटलीबाई (25) भी इस हादसे का शिकार हो गए। सबसे आखिर में 8 साल की चंदा का शव निकाला गया। उसकी मां आखिर तक इस उम्मीद में बैठी रही कि शायद उसकी बेटी जीवित हो, लेकिन जब शव मिला तो वह बेसुध होकर मौन हो गई। राज्य के सीएम मोहन यादव के द्वारा घटना पर परिजनों के राहत की घोषणा करते हुए परिजनों को ढ़ांढ़स बंधाया गया। पीएम मोदी ने भी घटना पर दुख जताते हुए PM राहत कोष से मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपए व घायलों को 50 हजार की राशि देने की घोषणा की।
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यह कोई पहली घटना नहीं है। पिछले आठ सालों में गणेश और दुर्गा विसर्जन के दौरान हुए हादसों में 43 लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें 34 बच्चे थे। भोपाल के खटलापुरा घाट पर 2019 में हुआ नाव हादसा भी इसी का एक दुखद उदाहरण है। उज्जैन के इंगोरिया में भी इसी दिन विसर्जन के दौरान ट्रैक्टर-ट्रॉली चंबल नदी में गिरने से दो बच्चों की मौत हो गई। ये घटनाएं प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों की घोर अनदेखी को उजागर करती हैं, जिसमें विसर्जन के लिए अधिकतम 10 लोगों की अनुमति और सुरक्षित घाटों का निर्धारण शामिल है।