एमपी में कार्बाइड गन का कहर (सौ. सोशल मीडिया)
Carbide Gun Wreaks Havoc In MP: दीपावली के मौके पर खतरनाक कैल्शियम कार्बाइड गन के इस्तेमाल से मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल और उससे सटे विदिशा जिले में चोटिल सौ से अधिक लोग विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं, जिनमें अधिकतर बच्चे हैं जिनकी उम्र आठ से 14 साल के बीच है। अधिकारियों ने बताया कि भोपाल के हमीदिया मेडिकल कॉलेज में जहां साठ लोग भर्ती हैं, वहीं विदिशा के सरकारी और कुछ निजी अस्पतालों में 50 लोगों का उपचार जारी है।
इनमें 14 बच्चों की आंखों की रोशनी छीन चुकी है। अधिकारी ने बताया कि लेकिन कुछ लोगों के चेहरे झुलस गए हैं तो कुछ के आंखों की रोशनी भी खतरे में पड़ गयी है। भोपाल के सीएमएचओ मनीष शर्मा के अनुसार सेवा सदन अस्पताल में पांच लोगों का इलाज हो रहा है जबकि अन्य लोग हमीदिया अस्पताल, जेपी अस्पताल और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती हैं। दीपावली के अगले दिन पूरे भोपाल शहर में ऐसे 300 से अधिक मामले सामने आए थे, जिनमें से कुछ को प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया।
अधिकारियों का कहना है कि एम्स में भर्ती 12 वर्षीय बच्चे की आंखों की रौशनी लौटाने के लिए चिकित्सकों की टीम प्रयासरत है। हमीदिया में भर्ती ऐसे ही दो और बच्चों की आंखों की रौशनी लौटाने के लिए उपचार जारी है। हमीदिया अस्पताल में अभी करीब 10 बच्चे भर्ती हैं।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 18 अक्टूबर को अधिकारियों के साथ एक बैठक में प्रदेश के जिलाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया था कि कार्बाइड पाइप गन की बिक्री ना हो लेकिन गैस लाइटर, प्लास्टिक पाइप और कैल्शियम कार्बाइड के इस्तेमाल से बनाया गया यह देसी गन दिवाली के मौके पर अवैध रूप से बेचा गया। गन में भरा कैल्शियम कार्बाइड जैसे ही पानी से मिलता है तो एसिटिलीन गैस बनाता है और चिंगारी मिलते ही विस्फोट होता है।
जानकारों ने बताया कि विस्फोट से पाइप के टूटने पर निकलने वाले छोटे-छोटे प्लास्टिक के टुकड़े छर्रों की तरह शरीर में घुसकर गंभीर चोटें करते हैं और शरीर के विभिन्न हिस्सों को नुक़सान पहुंचाते हैं, विशेषकर आंखों, चेहरे और त्वचा को।
हमीदिया अस्पताल में भर्ती 14 साल के हेमंत पंथी और 15 साल के आरिस के परिजनों ने इस कार्बाइड गन के लिए प्रशासन को ज़िम्मेदार ठहराया और इस गन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध की मांग की। आरिस के पिता सरीख ख़ान ने कहा कि इस प्रकार के गन बाजार में बिकने ही नहीं चाहिए। उन्होंने कहा, जिन्होंने ये गन बनाई है और जो बेच रहे हैं, उनपर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और बच्चों के इलाज के लिये मुआवजा राशि दी जानी चाहिए।
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सीएमएचओ शर्मा ने बताया कि प्रशासन लगातार कार्बाइड गन बेचने और बनाने वालों पर कार्रवाई कर रहा है। विदिशा जिला अस्पताल के नेत्र रोग विभाग के प्रभारी आर के साहू ने बताया कि कार्बाइड गन चलाने से जिले में 50 लोग घायल हुए हैं और इनमें से पांच की आंखों की रौशनी वापस लाने के लिए प्रयास जारी है।