गणगौर व्रत पति से छिपाकर क्यो कहते है (सोशल मीडिया)
नवभारत लाइफस्टाइल डेस्क: हिंदू धर्म (Hindu Religion) में कई त्योहार और व्रत आते है जिनकी मान्यताएं और परंपराएं भी खास होती है। जैसा कि, जानते है राजस्थानी समुदाय के गणगौर व्रत पूजा (gangaur puja Vrat 2024) को बहुत मानते है तो वहीं पर यह पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाता है।
महिलाओं को मिलता है वरदान
गणगौर व्रत पूजा में गण यानी कि भगवान शिव और गौर यानी कि माता पार्वती की पूजा का महत्व होता है, इसे विधिवत करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है और पति-पत्नी के दांपत्य जीवन में आ रही सारी परेशानियां दूर होती है। भले ही यह व्रत पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है लेकिन क्या आपको पता है यह व्रत पति को बताए बिना करना शुभ माना जाता है। अगर पति जान लें कि, पत्नी व्रत रख रही है तो यह फलदायी नहीं माना जाता है। ऐसा क्यों जानते है आगे।
पति से छिपकर की जाती है पूजा
गणगौर पूजा को लेकर धार्मिक मान्यताओं के अनुसार , महिलाएं अपने पति को इस व्रत के बारे में नहीं बताती है यह उनका व्रत होता है वहीं पर पति को महिलाएं व्रत का प्रसाद भी नहीं देती है। इसे लेकर कहते है कि, इस व्रत को छिपाकर रखने से व्रत फलदायी और पूर्ण माना जाएगा। वहीं पर भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद भी मिलेगा। इस दिन महिलाएं पति की लंबी उम्र का संकल्प करते हुए भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजन करती है।
प्रसाद में दिए जाते है गुने
गणगौर पूजा में माता पार्ती को प्रसाद के तौर पर गुने यानि गहने का प्रसाद चढ़ाना शुभ माना जाता है। यहां पर गुने को मैदा, बेसन और हल्दी के साथ मिलाकर बनाते जो बिल्कुल गहने की तरह नजर आता है। व्रत को लेकर यह भी मान्यता है कि, माता पार्वती को जितने गुने अर्पित किए जाते है घर में उतनी सुख-समृद्धि आती है। यहां माता को चढ़ाने के बाद जो महिला व्रत रखती है वह गुने अपनी सास, ननद या जेठानी को देती हैं और बड़ों से आशीर्वाद भी लेती है। इस पूजा के दौरान ‘ॐ उमामहेश्वराभ्यां नमः’ मंत्र का जाप करते रहें। या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ का जाप करते रहना शुभ माना जाता है।