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कबीर दास के ये 10 दोहे बदल देंगे परेशान इंसान की ज़िंदगी, बस इनके अर्थ को समझकर जीने लग जाएं

कबीर दास के दोहे जीवन जीने की कला सिखाते हैं। कबीर दास जी भगवान राम के बहुत बड़े भक्त थे। उनका मत था कि जिस परमात्मा की तलाश में हम दर-दर भटकते रहते हैं वह तो हमारे अंदर है, बस हम अज्ञानवश उसे देख नहीं पाते।

  • By सीमा कुमारी
Updated On: Jun 11, 2025 | 04:00 AM

कबीर दास के प्रेरणादायक दोहे(सौ.सोशल मीडिया)

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आज 11 जून 2025 को संत कबीर दास की जयंती मनाई जा रही है। आपको बता दें, पंचांग के अनुसार, संत कबीर जयंती हर साल ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है, जिसे उनके जन्मदिवस के रूप में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

कबीर दास, भारतीय भक्ति आंदोलन के प्रमुख संत, कवि और समाज सुधारक थे। उनकी रचनाएँ, विशेषकर उनके दोहे, आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी वे सदियों पहले थीं।

आपको बता दें, संत कबीर दास ने अपना पूरा जीवन समाज सुधार के कार्यों में लगा दिया। कबीर दास जी ने लोगों को एकता के सूत्र का पाठ पढ़ाया। उनकी रचनाओं में मुख्य रूप से राजस्थानी, खड़ी बोली, अवधी, पूरबी, ब्रज भाषा का समावेश देखने को मिलता है।

कबीर दास जी भगवान राम के बहुत बड़े भक्त थे। उनका मत था कि जिस परमात्मा की तलाश में हम दर-दर भटकते रहते हैं वह तो हमारे अंदर है, बस हम अज्ञानवश उसे देख नहीं पाते।

संत कबीर दास जी की दोहों के माध्यम से कम शब्दों में गहरी बात कहने की अनोखी शैली आज भी लोगों को गहराई से प्रभावित करती है। बता दें इनकी जयंती के शुभ दिन पर भक्त मठों और सत्संगों में एकत्र होते हैं, पाठ, कीर्तन और दोहों का गायन किया जाता है। आइए आपको बताते हैं कबीर दास जी के सबसे लोकप्रिय दोहों के बारे में।

क्या है कबीर दास के प्रेरणादायक दोहे

1. बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय। जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय॥

अर्थ- कबीर कहते हैं कि जब मैं इस दुनिया में बुराई खोजने गया, तो मुझे कुछ भी बुरा नहीं मिला और जब मैंने खुद के अंदर झांका तो मुझसे खुद से ज्यादा बुरा कोई इंसान नहीं मिला।

2. धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय। माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय॥

अर्थ- कबीर दास जी कहते हैं कि धैर्य रखें धीरे-धीरे सब काम पूरे हो जाते हैं, क्योंकि अगर कोई माली किसी पेड़ को सौ घड़े पानी से सींचने लगे तब भी फल तो ऋतु आने पर ही लगेगा।)

यह भी पढ़ें–बच्चों के लिए सुपरमैन होते हैं पिता, इन खास तरीकों से फादर्स डे को बनाएं शानदार, खुश हो जाएंगें आपके पापा

3. चिंता ऐसी डाकिनी, काट कलेजा खाए। वैद बिचारा क्या करे, कहां तक दवा लगाए।।

अर्थ- कबीर दास जी कहते हैं कि चिंता एक ऐसी डायन है जो व्यक्ति का कलेजा काट कर खा जाती है। इसका इलाज वैद्य नहीं कर सकता। वह कितनी दवा लगाएगा। अर्थात चिंता जैसी खतरनाक बीमारी का कोई इलाज नहीं है।

4. साईं इतना दीजिए, जा मे कुटुम समाय। मैं भी भूखा न रहूं, साधु ना भूखा जाय।।

अर्थ- कबीर दस जी कहते हैं कि परमात्मा तुम मुझे इतना दो कि जिसमें मेरा गुजरा चल जाए, मैं खुद भी अपना पेट पाल सकूं और आने वाले मेहमानों को भी भोजन करा सकूं।

5. गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरु आपनो, गोविन्द दियो बताय।।

अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि शिक्षक और भगवान अगर साथ में खड़े हैं तो सबसे पहलो गुरु के चरण छूने चाहिए, क्योंकि ईश्वर तक पहुंचने का रास्ता भी गुरु ही दिखाते हैं।

6. ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोए, औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए

अर्थ- कबीर दास जी कहते हैं व्यक्ति को हमेशा ऐसी बोली बोलनी चाहिए जो सामने वाले को अच्छा लगे और खुद को भी आनंद की अनुभूति हो।

7. बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर। पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर।।

अर्थ- जिस प्रकार खजूर का पेड़ इतना ऊंचा होने के बावजूद आते-जाते राही को छाया नहीं दे सकता है और उसके फल तो इतने ऊपर लगते हैं कि आसानी से तोड़े भी नहीं जा सकते हैं। उसी प्रकार आप कितने भी बड़े आदमी क्यों न बन जाए लेकिन आपके अंदर विनम्रता नहीं है और किसी की मदद नहीं करते हैं तो आपका बड़ा होने का कोई अर्थ नहीं है।

 

What are the inspiring couplets of kabir das

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Published On: Jun 11, 2025 | 04:00 AM

Topics:  

  • Kabirdas Jayanti
  • Lifestyle News

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