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सीमा कुमारी
नई दिल्ली: ‘कामदा एकादशी’ (Kamada Ekadashi 2023) चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष में मनाई जाने वाली एक पवित्र हिंदू व्रत हैं। यह व्रत हिंदू नववर्ष की पहली एकादशी होती है। इस वर्ष यह एकादशी आज यानी 1 अप्रैल 2023, शनिवार (Kamada Ekadashi 2023) के दिन रखा जाएगा। इस एकादशी के दिन को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना करने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है।
शास्त्रों के अनुसार, ‘कामदा एकादशी’ के दिन श्री हरि की उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। साथ ही जीवन में सफलता प्राप्त होती है। आइए जानें कामदा एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और उपाय।
पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का शुभारंभ 1 अप्रैल 2023 मध्य रात्रि 12 बजकर 28 मिनट पर होगा, जिसका समापन 2 अप्रैल को रात्रि 2 बजकर 49 मिनट पर होगा। इस विशेष दिन पर रवि योग सुबह 6 बजकर 17 मिनट से 2 अप्रैल को सुबह 3 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रवि योग में पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है।
आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाना चाहिए। आपको स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
इसके बाद देवी-देवताओं को स्नान व वस्त्र धारण करा पूजा कर व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए।
कामदा एकादशी तिथि को भगवान विष्णु को फल, फूल, दूध, तिल व पंचामृत अर्पित करना चाहिए।
एकादशी व्रत पर व्रत की कथा जरूर सुनें। व्रत कथा सुनने से ही पूजा का पूरा फल मिलता है।
आपको एकादशी व्रत पर व्रत व पूजन के बाद द्वादशी तिथि को ब्रह्माण या किसी गरीब को भोजन दान करना चाहिए।
शास्त्रों में बताया गया है कि कामदा एकादशी व्रत के दिन श्री हरि की उपासना करने से और उपवास का पालन करने से साधक के सभी प्रकार के पाप दूर हो जाते हैं। साथ ही ब्रह्म हत्या का भय भी एकादशी व्रत रखने से मिट जाता है। एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही किया जाता है। इसके साथ एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु के विशेष मंत्रों का जाप और उनकी आरती का पाठ करने से साधक को शारीरिक, आर्थिक व मानसिक समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है।
1. ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।।
2. ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
3. दन्ताभये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जया लिंगितमब्धिपुत्रया लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।