मिट्टी का अस्तित्व खतरे में (सौ. सोशल मीडिया)
Soil Degradation Crisis: हमारी धरती पर मिट्टी, जल, वायु जैसे जरूरी तत्वों का होना बेहद जरूरी है। इनके बिना जीवन की कल्पना करना आसान नहीं है। मिट्टी का महत्व हमारे जीवन में खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण की कुशलता का आधार होती है। मिट्टी के बिना फसलें नहीं उगती है तो वहीं पर खाने के कोई विकल्प नहीं बच्चे। हमारे देश के किसान साथियों के लिए मिट्टी पहली जरूरत है तो वहीं पर देश के नागरिकों के लिए मिट्टी का संरक्षण करना पहला कर्तव्य है। दुनियाभर में मिट्टी के महत्व को बताने के लिए हर साल 5 दिसंबर को विश्व मिट्टी दिवस मनाया जाता है। मिट्टी हमारे लिए महत्वपूर्ण है लेकिन मौजूदा समय में जमीन अपनी ऊपरी मिट्टी को तेजी से खो रही है। भारत में कुल भौगोलिक क्षेत्र (328.7 मिलियन हेक्टेयर) का 29% यानी करीब 96.4 मिलियन हेक्टेयर से अधिक का क्षरण हुआ है।
यहां पर मिट्टी में मौजूद जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो रही है जिसकी वजह से उत्पादकता पर असर पड़ता है। मिट्टी में लगातार 40 प्रतिशत उर्वरकता की कमी होने लगी है। इसमें जरूरी तत्व में ऑर्गेनिक कार्बन की कमी हो रही है। इस घटते ऑर्गेनिक कार्बन से उत्पादकता पर विपरित असर पड़ता है। कई जगहों पर मिट्टी की सेहत सही नहीं होने से जमीन बंजर होने लगी है। आने वाले 60 सालों बाद मिट्टी का अस्तित्व भी खत्म होने की कगार पर आ जाएगा।
मिट्टी की सेहत को बिगाड़ने के लिए कृषि पद्धतियां, जमीन का अत्यधिक दोहन, खनन और वनों की कटाई जैसे कारक जिम्मेदार होते है। मिट्टी का ज्यादा दोहन और अपशिष्ट पदार्थों के मिलने से जैव विविधता और प्रजातियां विलुप्त होने लगती है। यह सभी चीजें हमारे पर्यावरण के लिए आवश्यक है लेकिन अब धीरे-धीरे अस्तित्व खोने लगी है।
मिट्टी का महत्व (सौ. सोशल मीडिया)
यहां पर मिट्टी के अस्तित्व को खत्म होने से बचाने के लिए हमें अपने दैनिक जीवन या विश्व स्तर पर प्रयास करने होंगे। इसके लिए कई तरह के बदलाव करने की आवश्यकता है। वनों की कटाई नहीं वृक्षारोपण पर ध्यान दें।मिट्टी को बचाने के लिए भूमि-उपयोग प्रथाएं- सूखा, बाढ़, जंगल की आग, रेत के तूफान और धूल से जुड़े प्रदूषण से निपटने में भी मदद कर सकती हैं। मिट्टी के महत्व को समझते हुए कई देशों ने संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के तहत मिलकर 2030 तक एक अरब हेक्टेयर बंजर भूमि को बहाल करने का फैसला किया है।
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बता दें, भारत में देश की 26 मिलियन हेक्टेयर बंजर भूमि को बहाल करने के लिए काम कर रहा है। मिट्टी में नाइट्रोजन 400 किलो प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए, लेकिन यह शून्य तक पहुंच गई है। इन सब बातों से अंदाजा लगा सकते हैं कि आने वाले दिनों में मिट्टी की हालत क्या हो सकती है।