
सेंटा क्लॉज की कहानी (सौ.सोशल मीडिया)
Christmas 2024: दुनियाभर में क्रिसमस का त्योहार 25 दिसंबर को मनाया जाने वाला है वहीं पर इस मौके पर प्रभु यीशु का जन्म क्रिसमस के तौर पर मनाया जाता है। इस त्योहार को कैंडल जलाकर , लोगों के बीच में बड़े ही सही ढंग से मनाया जाता है। क्रिसमस पर हमने
बचपन से सुना है कि,सैंटा क्रिसमस की पूर्व संध्या पर अपनी आठ बारहसिंगों वाली गाड़ी पर बैठकर आता है और बच्चों को गिफ्ट्स देता है बच्चों को आज भी सेंटा के गिफ्ट और जिंगल बड़े अच्छे से याद है। लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर सेंटा क्लॉज कौन थे और बच्चों से उन्हें इतना प्यार क्यों था।…
आपको बताते चलें कि, सेंटा क्लॉज को अक्सर सफेद दाढ़ी वाले खुशमिजाज व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। सेंटा क्लॉज का जन्म 280 साल बाद (280 ईस्वी में ) तुर्कमेनिस्तान के शहर मायरा में जन्म हुआ था। उनका असल में नाम सेंटा क्लॉज ना होकर संत निकोलस था। संत निकोलस ने कम उम्र में ही अपने मां बाप को खो दिया और गरीबी में पले बढ़े. वो जीजस क्राइस्ट की भक्ति किया करते थे. वो पहले पादरी और बाद भी बिशप बनें।
कहा जाता है कि, संत निकोलस प्रभु यीशु के अनन्य भक्तों में से एक थे जो उनकी भक्ति करते थे उनकी पत्नी का नाम क्लॉज था। बच्चों को सेंटा काफी पसंद करते थे इसलिए वे बच्चों को गिफ्ट देते रहते थे। वो चाहते थे कि गिफ्ट्स देते हुए उनकी पहचान जाहिर न हो इसलिए वो रात के अंधेरे में बच्चों को गिफ्ट्स देने निकला करते थे।
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इसे लेकर एक कहानी प्रचलित है जिसके अनुसार, एक पिता की तीन बेटियां थी. गरीबी की वजह से वो अपनी बेटियों का दहेज नहीं पा रहा था. जब इस बाद का पता संत निकोलस को चला तो उन्होंने उनके दहेज के लिए अपनी संपत्ति दान में दे दी. उन्होंने उत्तरी ध्रुव में रहने वाले बच्चों और नाविकों की भी खूब मदद की। सेंटा लाल कपड़ों में आते थे।
बताया जाता है कि, वे क्रिसमस के पहले दिन बारहसिंगा रूडोल्फ पर बैठते थे और उसी से तोहफे देने निकला करते थे. वहीं अगर उनकी मौत की बात करें तो वो 6 दिसंबर 343 ईस्वी में मायरा शहर में हुई थी। उन्हें लाल रंग के कपड़े में देखा जाता है।






