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जानिए कौन थे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जिनके प्रेरणादायक विचार जो हर पीढ़ी को करते हैं प्रभावित

अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश तक ले जाने वाले तमाम शिक्षकों के प्रति आभार और सम्मान जाहिर करने के लिए भारत में 5 सितंबर को ‘शिक्षक दिवस’ (Teachers’ Day) मनाया जाता है। भारतीय इतिहास में 5 सितंबर की तारीख का एक खास महत्व है।इस दिन देश के द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan) का जन्म हुआ था और उन्हीं के सम्मान में यह दिवस मनाते है।

  • By दीपिका पाल
Updated On: Sep 05, 2024 | 07:49 AM

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णनन के विचार (सौ.सोशल मीडिया)

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भारत के राष्ट्रपति, महान दार्शनिक, शिक्षा शास्त्री ‘डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन'(Dr.Sarvepalli Radhakrishnan) को एक प्रकाश स्तंभ के रूप में याद किया जाता है। उनकी बौद्धिकता, सूझबूझ और व्यापक सोच को हर युग, हर पीढ़ी में याद किया जाता है। भारत रत्न डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन समूचे विश्व को एक विद्यालय मानते थे, उनका मानना था कि शिक्षक के द्वारा ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जा सकता है।

अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश तक ले जाने वाले तमाम शिक्षकों के प्रति आभार और सम्मान जाहिर करने के लिए भारत में 5 सितंबर को ‘शिक्षक दिवस’ (Teachers’ Day) मनाया जाता है। भारतीय इतिहास में 5 सितंबर की तारीख का एक खास महत्व है।

इसलिए मनाया जाता हैं शिक्षक दिवस

दरअसल इस दिन देश के द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan) का जन्म हुआ था और उन्हीं के सम्मान में इस दिन को ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। पांच सितंबर 1888 को तमिलनाडु में जन्मे डॉ. राधाकृष्णन को भारतीय संस्कृति के संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद और महान दार्शनिक के तौर पर जाना जाता है।

पूरे देश को अपनी विद्वता से अभिभूत करने वाले डॉ. राधाकृष्णन को भारत सरकार ने सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया था। यहां डॉ राधाकृष्णन के नेक विचारों के बारे में जानेंगे जो आज की पीढ़ी को प्रभावित करते हैं।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के अनमोल विचार

  • केवल निर्मल मन वाला व्यक्ति ही जीवन के आध्यात्मिक अर्थ को समझ सकता है। स्वयं के साथ ईमानदारी, आध्यात्मिक अखंडता की अनिवार्यता है।
  • भगवान हम में से हर एक में रहता है, महसूस करता है और पीड़ित होता है और समय के साथ हम में से प्रत्येक में उसकी विशेषताओं, ज्ञान, सौंदर्य और प्रेम का पता चलेगा।
  • हमें राजनीतिक या आर्थिक बदलाव से शांति नहीं मिलती बल्कि शांति मानवीय स्वभाव में बदलाव से आ सकती है।
  • शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके।
  • जिस प्रकार आत्मा किसी व्यक्ति की सचेतन शक्तियों के पीछे की वास्तविकता है, उसी प्रकार परमात्मा इस ब्रह्माण्ड की समस्त गतिविधियों के पीछे का अनंत आधार है।
  • उम्र या युवावस्था का काल-क्रम से लेना-देना नहीं है। हम उतने ही नौजवान या बूढें हैं जितना हम महसूस करते हैं। हम अपने बारे में क्या सोचते हैं यही मायने रखता है।
  • डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन कहते थे, अपने पड़ोसी से खुद की तरह प्रेम करो क्योंकि तुम खुद अपने पड़ोसी हो। यह तुम्हारा भ्रम है जो तुम्हें ये सोचने पर विवश करता है कि तुम्हारा पड़ोसी तुम्हारे अलावा कोई और हैं।
  • यदि मानव दानव बन जाता है तो ये उसकी हार है, यदि मानव महामानव बन जाता है तो ये उसका चमत्कार है। यदि मनुष्य मानव बन जाता है तो ये उसके जीत है।
  • शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वह है, जो आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें।
  • पुस्तकें वो साधन हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं।

लेखिका- सीमा कुमारी

Know the inspirational thoughts of dr sarvepalli radhakrishnan

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Published On: Sep 04, 2024 | 07:51 AM

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