असदुद्दीन ओवैसी (फोटो सौजन्य-सोशल मीडिया )
हैदराबाद: पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार ने गुरुवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। सर्वदलीय बैठक में सरकार सभी दलों को पहलगाम आतंकवादी हमले के बारे में जानकारी देगी और उनके विचार सुनेगी। इस बीच AIMIM प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को होने वाली सर्वदलीय बैठक को लेकर अपना गुस्सा जाहिर किया।
ओवैसी ने कहा है कि उन्हें केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सर्वदलीय बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित नहीं किया है। जिसके बाद उन्होंने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू से फोन पर बात की हैं। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी सर्वदलीय बैठक में शामिल किए जाने को लेकर अपील की है।
ओवैसी ने कहा कि, उन्होंने बुधवार रात पहलगाम सर्वदलीय बैठक को लेकर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू से फोन पर बात की। उन्होंने कहा कि वे केवल 5 या 10 सांसदों वाली पार्टियों को आमंत्रित करने के बारे में सोच रहे हैं। क्योंकि बैठक बहुत लंबी हो जाएगी।
असदुद्दीन ओवैसी ने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट करते हुए कहा कि, यह बीजेपी या अन्य पार्टी की कोई आंतरिक बैठक नहीं है। यह आतंकवाद और आतंकवादियों को पनाह देने वाले देशों के खिलाफ एक मजबूत और एकजुट संदेश भेजने के लिए एक सर्वदलीय बैठक है। क्या नरेंद्र मोदी सभी दलों की चिंताओं को सुनने के लिए एक अतिरिक्त घंटा नहीं दे सकते? आपकी अपनी पार्टी के पास बहुमत नहीं है। चाहे वह 1 सांसद वाली पार्टी हो या 100, वे दोनों भारतीयों द्वारा चुनी गई हैं और इस तरह के महत्वपूर्ण मामले पर उनकी बात सुनी जानी चाहिए। यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है।
Regarding the Pahalgam All Party Meeting, I spoke to @KirenRijiju last night. He said they’re thinking of inviting only parties with “5 or 10 MPs.” When I asked why not parties with fewer MPs, he said that the meeting would get “too long.” When I asked “What about us, the smaller…
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) April 24, 2025
ओवैसी ने कहा, यह एक राष्ट्रीय मुद्दा है। सभी की बात सुनी जानी चाहिए। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध करता हूं कि इसे वास्तविक सर्वदलीय बैठक बनाया जाए, संसद में सांसद वाली हर पार्टी को आमंत्रित किया जाना चाहिए।
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सर्वदलीय बैठक आमतौर पर होने वाली बैठकों से अलग है। सर्वदलीय बैठक राष्ट्रीय हित पर असर डालने वाली किसी घटना के बाद इस प्रकार की बैठक बुलाई जाती है। जैसे कि, 2019 में पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद या 2020 में भारत-चीन गतिरोध के दौरान सरकार ने इस तरह की बैठक बुलाई थी। जिसमें सरकार विपक्षी दल के नेताओं को उस घटना की संक्षिप्त जानकारी देती है और विपक्षी नेता अपने विचार सरकार से साझा करते हैं।