(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Nagpur News In Hindi: नागपुर सिटी काफी गरीब है। यहां पर कोई बड़ा ट्रांजेक्शन होता ही नहीं होता है। भले ही शहर में करोड़ों रुपये के आलीशान फ्लैट बन रहे हों, लग्जरी वाहनों की तदाद बढ़ रही हो। लग्जरी ब्रांड के होटल, हॉस्पिटल और ज्वेलरी के शोरूम खुल रहे हों। तमाम प्रकार के विकास केवल दिखावा ही हैं। ऐेसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि नागपुर (विदर्भ) में इन सभी मदों में कोई बड़ा लेन-देन ही नहीं हो रहा है।
आयकर विभाग के इंटेलिजेंस एंड क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन(आईएंडसीआई) के अधिकारी भी इन आंकड़ों को देखकर हैरान-परेशान हैं। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि ऐेसा क्यों हो रहा है। या तो यहां पैसा नहीं है, या फिर लोग रिटर्न या वित्तीय लेन-देन का विवरण (एसएफटी) जानबूझकर भरना पसंद नहीं कर रहे हैं।
आयकर कानून के तहत होटल, हॉस्पिटल, ज्वेलर्स, सहकारी बैंकों, बिल्डर्स, वेडिंग प्लानर्स को एक पैमाने पर बाद होने वाले लेन-देन का पूरा विवरण एसएफटी कानून के तहत देना अनिवार्य है। सूत्रों ने बताया कि नागपुर में आज तक एक भी हॉस्पिटल वाले ने एसएफटी में जानकारी नहीं दी है।
इसका मतलब यह है कि यहां पर 2 लाख से अधिक का कोई बिल बना ही नहीं है। विभाग का कहना है कि आज साधरण से साधारण बीमारी में 2 लाख रुपये का बिल बनता है। इसके बाद भी हॉस्पिटल संचालक जानकारी (विवरण) नहीं भर रहे हैं।
इसी प्रकार शहर में बड़े-बड़े ब्रांड के होटल खुले हुए हैं। कई होटलों में कमरे का एक दिन का शुल्क ही 15-20 हजार रुपये है। इसके बाद भी एक भी होटल में 50,000 रुपये का सिंगल बिल नहीं बन रहा है। इस पर विभाग काफी विचलित और अचंभित भी है। यह कैसे हो रहा है?
क्या इन होटलों में 50,000 रुपये से अधिक का बिल बनता ही नहीं है? होटलों की बिलिंग पर भी आईएंडसीआई की पैनी नजर है और जल्द ही बड़े पैमाने पर नोटिस जारी कर जानकारी हासिल करने की नीति अपनाई जाएगी।
विभागीय सूत्रों ने बताया कि इतना बड़ा बाजार होने के बाद भी यह आश्चर्य है कि नागपुर या विदर्भ में 2 लाख रुपये से अधिक की नकदी खरीदी-बिक्री नहीं हो रही है क्योंकि एक भी ज्वेलर्स इसकी जानकारी विभाग को देना उचित नहीं समझ रहा है। इन सभी में उन्हें ‘झोल’ नजर आ रहा है। सूत्रों का कहना है कि सैकड़ों की संख्या में रोजाना ट्रांजेक्शन हो रहे हैं परंतु दुकानदार इसकी जानकारी छिपा रहे हैं।
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मजेदार बात तो यह है कि आज के दौर में वेडिंग प्लानर्स करोड़ों रुपये का आयोजन कर रहे हैं परंतु वे भी ‘अनजान’ बने हुए हैं और विभाग को जानकारी उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। विभाग ने वेबसाइट में पाया कि एक आयोजन के लिए प्लानर्स की फीस 10 लाख रुपये से अधिक है परंतु वे जानकारी देने से बच रहे हैं और खुद को संकट में डाल रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि विभाग ने इन क्षेत्रों की कुंडली तैयार कर ली है। सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों में हो रही कार्रवाई के बाद इन सेक्टरों को नोटिस जारी करने की तैयारी शुरू हो गई है। लोगों के रिटर्न और इन सेक्टरों द्वारा भरे जा रहे रिटर्न का मिलान शुरू कर दिया गया है। कई लोगों पर आने वाले दिनों में गाज गिरने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।