अवयव प्रत्यारोपण की बढ़ती जा रही सूची (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur News: अंगदान के प्रति सकारात्मक रुझान तो बढ़ा है, लेकिन प्रत्यारोपण के लिए अवयवों की कमी गंभीर चिंता का विषय है। हाल ही में जारी जोनल ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेशन सेंटर (जेडटीसीसी) की 2025 की वार्षिक रिपोर्ट में यह हकीकत एक बार फिर उजागर हुई है। रिपोर्ट के अनुसार राज्य में मृत अवयव दाताओं (ब्रेन डेड) की संख्या में वृद्धि तो हुई है, लेकिन प्रतीक्षा सूची में मरीजों की बढ़ती संख्या और उपलब्धता में अंतर अभी भी जारी है।
राज्य भर से कुल 258 मृत अंगदाताओं का पंजीकरण हुआ, जिनके माध्यम से 793 अवयव प्रत्यारोपण संभव हुए। रिपोर्ट के अनुसार सबसे अधिक संख्या किडनी प्रत्यारोपण की है, जहां महाराष्ट्र में 8953 मरीज किडनी के लिए प्रतीक्षारत हैं। मुंबई, पुणे और नागपुर के तीन प्रमुख विभागों में प्रतीक्षा सूची सबसे अधिक है।
पिछले वर्ष की तुलना में बढ़े मरीज
इनमें से मुंबई में 5236 मरीज किडनी, 421 मरीज लिवर, 96 मरीज हृदय और 22 मरीज फेफड़े के लिए प्रतीक्षारत हैं। इसी 832 मरीजों ने कॉर्निया के लिए पंजीकरण कराया है। पुणे में 1176 किडनी, 131 लिवर, 23 हृदय, 10 फेफड़े और 294 कॉर्निया की प्रतीक्षा में हैन वहीं नागपुर में 1235 मरीज किडनी, 103 लिवर और 225 मरीज कॉर्निया प्रत्यारोपण की राह देख रहे हैं।
राज्य स्तर तीन प्रमुख एजेंसियां कार्यरत है। इनमें जोनल ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेशन सेंटर (जेडटीसीसी), रिजनल ऑर्गनाईजेशन फॉर ट्रान्सप्लांटेशन (रोटो)और स्टेट ऑर्गनाइजेशन फॉर ट्रान्सप्लांटेशन (सोटो)का समावेश है।
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इन सभी प्रक्रियाओं का समन्वय राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) के माध्यम से किया जाता है। 2025 में 258 अंग दाताओं से 514 किडनी, 198 लिवर, 45 हृदय, 18 फेफड़े, 9 अग्न्याशय, 9 छोटी आंत और 4318 कॉर्निया प्रत्यारोपित किए गए। हालांकि यह आंकड़े संतोषजनक लगते हैं, लेकिन प्रतीक्षा सूची में मरीजों की अधिक संख्या के कारण अभी भी एक बड़ा अंतर बना हुआ है। उल्लेखनीय रूप से किडनी के लिए प्रतीक्षारत मरीजों की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में 611 की वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अंगदान के प्रति जन जागरूकता बढ़ रही है, फिर भी सामाजिक अंधविश्वास, जानकारी का अभाव और अक्सर दुर्घटनाओं में ब्रेन डेड होने वाले मरीजों के परिजनों द्वारा अंगदान से इनकार करने के कारण अंगदान की दर अपेक्षा के अनुरूप नहीं बढ़ी है। विशेषज्ञों के अनुसार प्रत्येक जिले के अस्पतालों में अंगदान के लिए एक प्रशिक्षित प्रणाली स्थापित करना, ‘ब्रेन डेड’ मरीजों के परिजनों को अंगदान के लाभ समझाना और कानूनी प्रक्रिया को सरल बनाना प्राथमिकता होनी चाहिए। राज्य में अंगदान से जुड़ी कानूनी प्रक्रिया को सरल बनाने के साथ-साथ लाइव डोनर कार्यक्रम को और बढ़ावा देने की आवश्यकता है।