देशभर में सावन के महीने की शुरुआत हो गई है। यह महीना भगवान शिव की भक्ति का पावन महीना होता है जहां पर भक्ति के साथ बारिश की फुहार के साथ सुकून मिलता है। हमारा देश विभिन्न विविधताओं से भरा देश है जहां पर हर राज्यों में नई संस्कृति की झलक नजर आती है। आज हम आपको देश की कई संस्कृति के बारे में बता रहे है जो सावन में नजर आती है।
हम बात कर लेते है पंजाब की तो यहां पर सावन का बेहद अनूठा रंग नजर आता है। हाथों में मेहंदी और हरी चूड़ियां, कानों में झुमके, माथे पर मांग टीका या सग्गी फुल्ल के साथ फिजाओं में जोश नजर आता है। यहां पर सावन में शिवपूजा के साथ ही खीर और मालपुए की खुशबू भी फिजा में रहती है। परंपरा के अनुसार, शादी के बाद पहली बार लड़कियां मायके जाती है। सावन के दौरान पंजाब में महिलाएं झूला झूलती है तो वहीं पर गिद्दे का जोश नजर आता है।
खूबसूरती के मामले में अव्वल कश्मीर में भी सावन का अलग ही रंग नजर आता है। दरअसल कश्मीर में सावन को ‘वहरात’ कहा जाता है। कश्मीर से ही अमरनाथ यात्रा जुड़ी होती है जहां पर बाबा बर्फानी के दर्शन करने के लिए भक्त पहुंचते है। सावन में हर कश्मीरी घर में ‘र्यांज’ नामक विशेष व्यंजन बनाया जाता है। यह चावल के आटे में अखरोट की गिरी को मिलाकर कच्चे तेल में आटा गूंथ कर बनाया जाता है। इसमें शाही जीरा मिलाकर पेड़े बना उन्हें कटोरीनुमा आकार दिया जाता है। कच्ची मिट्टी के बर्तन में स्टीम में पका कर र्यांज तैयार किए जाते हैं। पेट और त्वचा संबंधी समस्याओं से निजात पाने के लिए यहां पर चलाई को हाथ से मसलकर पूरे शरीर पर रगड़ने के बाद स्नान करने की परंपरा है।
सावन के महीने में हरियाणा में अलग ही मौसम के रंग नजर आते है। राज्य की परंपरा में सावन की तीज पर बहन-बेटियों को भेजी जाने वाली ‘कोथली’ व नवविवाहिताओं के पहले सावन में भेजे जाने वाले सिंधारे में भी घेवर को खास जगह मिलती है। हरियाणा में घेवर की खूश्बू के आप दीवाने हो जाएंगे। तीज से रक्षाबंधन तक आज भी हरियाणवी छोरियां परंपरागत लिबास में इकट्ठी होकर ‘तीयां’ लगाती हैं यानी झूले झूलकर खूब नाचती-गाती हैं। सावन यहां खुशनुमा रहता है।
बात कर लेते है देश के हिस्से पूर्वांचल की, यहां पर सावन के महीने में अलग ही खूबसूरती नजर आती है। भगवान शिव की पूजा करने के साथ ही महिलाएं परंपरागत झूमर नृत्य भी करती है। इस दौरान सभी झूमर के गीत गाती हैं। पूर्वांचल की नवविवाहिताएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए सावन में ‘मधुश्रावणी’ का व्रत रखती हैं। परंपरा के अनुसार ससुराल से व्रत रखने के लिए बाकायदा सामान भेजा जाता है।
उत्तराखंड यानि पहाड़ों का राज्य, यहां भी सावन के महीने में अलग ही धूम देखने के लिए मिलती है। सावन में चने, पुड़ी, खीर, रायता के साथ-साथ आलू का झोल, थिचोड़ी, झंगोरा का भात, भांग की चटनी इत्यादि बनाते हैं। यहां के लोग हर सोमवार को व्रत रखते है और शाम को खीर या किसी अन्य मीठे व्यंजन से व्रत खोला जाता है।