ट्रेन और प्लेन की सांकेतिक फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: पाकिस्तान के बलूचिस्तान में मंगलवार को एक बड़ी घटना सामने आई, जब अज्ञात हमलावरों ने एक ट्रेन को हाईजैक कर लिया। कोटा से पेशावर जा रही Jaffar Express के रास्ते में बम धमाके से रेलवे ट्रैक को उड़ा दिया गया, जिससे ट्रेन सुरंग में रुक गई। इसी दौरान हमलावरों ने ट्रेन पर कब्जा कर लिया। इस हमले की जिम्मेदारी बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) नामक संगठन ने ली है। ट्रेन हाईजैक की ऐसी घटना बेहद दुर्लभ मानी जाती है।
विमान अपहरण की घटनाएं आधुनिक इतिहास में आम रही हैं। 1931 में पहली बार प्लेन हाईजैक होने के बाद अब तक 1,000 से ज्यादा ऐसी घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं। लेकिन किसी ट्रेन का अपहरण हो जाना चौंकाने वाला मामला है। लगभग 200 साल पुराने रेल इतिहास में ट्रेन हाईजैक की घटनाएं बेहद दुर्लभ हैं। ऐसे में सवाल उठता है क्या ट्रेन का अपहरण संभव नहीं है, तो यह कैसे हो जाता है।
विमान अपहरण 20वीं सदी के मध्य से ही एक गंभीर समस्या बनी हुई है। प्रारंभ में, इसे मुख्य रूप से राजनीतिक कारणों से अंजाम दिया जाता था, लेकिन बाद में इसका उपयोग फिरौती, आतंकवाद और अन्य आपराधिक गतिविधियों के लिए किया जाने लगा। सबसे भयानक घटना 2001 में हुई, जब अल-कायदा ने चार विमानों को अपहरण कर न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और पेंटागन पर हमला किया। इस हमले में करीब 3,000 लोगों की जान चली गई, जिससे यह अब तक के सबसे भयावह आतंकवादी हमलों में से एक बन गया।
1948 से अब तक 1,000 से अधिक विमान अपहरण की घटनाएँ हो चुकी हैं। खासतौर पर 1968 से 1972 के बीच, जब 130 से ज्यादा हाईजैकिंग दर्ज की गईं। 9/11 हमले के बाद सुरक्षा कड़े किए जाने से ऐसी घटनाओं में कमी आई है, लेकिन खतरा अभी भी बना हुआ है।
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1976: नीदरलैंड में साउथ मोलुक्कन अलगाववादियों ने एक ट्रेन पर कब्जा कर लिया और यात्रियों को 20 दिनों तक बंधक बनाए रखा। सरकार ने बातचीत से हल निकालने की कोशिश की, लेकिन अंततः सेना को कार्रवाई करनी पड़ी।
1986: पोलैंड में एक व्यक्ति ने AK-47 के साथ ट्रेन हाईजैक करने की कोशिश की और उसे बर्लिन ले जाने की मांग की। हालांकि, सुरक्षाबलों ने तुरंत हस्तक्षेप कर उसे गिरफ्तार कर लिया।
1995: रूस में चेचन्या के आतंकवादियों ने एक ट्रेन पर कब्जा कर लिया। इस घटना के पीछे उनका मकसद रूस पर दबाव बनाना था।
ट्रेन हाईजैक की घटनाएँ हवाई जहाज की तुलना में बहुत कम होती हैं, क्योंकि ट्रेनों का संचालन जटिल प्रक्रिया होती है। किसी ट्रेन पर कब्जा जमाना आसान नहीं होता, इसलिए अपराधी और आतंकवादी संगठनों द्वारा आमतौर पर ट्रेनों में बम धमाके जैसी साजिशें रची जाती हैं, बजाय इसके कि वे उन्हें हाईजैक करें।
जहाँ प्लेन का कॉकपिट कंट्रोल में लेने से पूरा जहाज हाईजैक हो जाता है, वहीं ट्रेन का सिस्टम अलग तरह से काम करता है। इंजन, डिब्बे और सिग्नल प्रणाली अलग-अलग संचालित होते हैं, जिससे ट्रेन को पूरी तरह से अपने कब्जे में लेना मुश्किल हो जाता है। यदि कोई हाईजैकर ड्राइवर को धमकाकर ट्रेन को चलाने की कोशिश भी करे, तो रेलवे कंट्रोल रूम से ट्रैक सिस्टम को बंद किया जा सकता है।
रेलवे नेटवर्क में इमरजेंसी ब्रेक सिस्टम मौजूद होता है, जिसे खींचने पर ट्रेन तुरंत रुक जाती है। इसके अलावा, रेलवे कंट्रोल रूम भी किसी भी ट्रेन को रोक सकता है, जिससे सुरक्षा बल जल्दी मौके पर पहुँच सकते हैं। इसके विपरीत, हवा में उड़ रहे प्लेन को रोकने का कोई सीधा तरीका नहीं होता।
ट्रेन में यात्रियों के पास बचने और भागने के ज्यादा मौके होते हैं, जबकि प्लेन में सीमित जगह के कारण हाईजैकर्स को यात्रियों को काबू में रखना आसान होता है। इसके अलावा, अगर ट्रेन हाईजैक के दौरान कोई गलत सिग्नल दे दिया जाए, तो ट्रेन पटरी से उतर सकती है, जिससे खुद हाईजैकर्स के लिए भी खतरा पैदा हो सकता है।