चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, दलाई लामा (फोटो- सोशल मीडिया)
लद्दाख: चीन ने अगले दलाई लामा को चुने जाने को लेकर चल रहे विवाद और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर की आगामी चीन यात्रा को लेकर बयान दिया है। चीन ने तिब्बती बौद्ध धर्म गुरु के उत्तराधिकारी के चुनाव में भारत की दिलचस्पी को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे भारत और चीन के बीच संबंधों में एक ‘कांटा’ करार दिया है।
यह बयान उस समय आया है जब शनिवार को 14वें दलाई लामा भारतीय वायुसेना के विमान में सवार होकर लेह पहुंचे। चीन ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु के उत्तराधिकारी का चयन उसका “आंतरिक मामला” है, जिसमें किसी भी बाहरी हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है।
बीजिंग स्थित चीनी दूतावास ने रविवार को जारी एक बयान में कहा कि भारत को तिब्बत से जुड़ी संवेदनशीलता को गंभीरता से लेना चाहिए। दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने सोशल मीडिया मंच X पर लिखा, “शिजांग से जुड़ा मुद्दा भारत-चीन संबंधों में एक कांटे की तरह है और यह भारत के लिए एक बोझ बनता जा रहा है। ‘शिजांग कार्ड’ खेलना भारत के लिए आत्मघाती सिद्ध हो सकता है।”
🔹It has been noted some people from strategic and academic communities, including former officials, have made some improper remarks on the reincarnation of Dalai Lama, contrary to Indian government’s public stance.
🔹As professionals in foreign affairs, they should be fully… pic.twitter.com/HlG2IdvW1P— Yu Jing (@ChinaSpox_India) July 13, 2025
यू जिंग ने यह भी आरोप लगाया कि हाल के दिनों में कुछ भारतीय राजनीतिक विशेषज्ञों, पूर्व अधिकारियों और शिक्षाविदों ने दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर ऐसे बयान दिए हैं, जो चीन के अनुसार भारत सरकार की आधिकारिक नीति से मेल नहीं खाते। जिंग का इशारा केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू को की तरफ था। उन्होंने दावा किया कि तिब्बत में तिब्बती लोग अपनी पारंपरिक संस्कृति, पोशाक, खानपान और वास्तुकला को स्वतंत्र रूप से संरक्षित किए हुए हैं। इस दावे के समर्थन में उन्होंने कुछ तस्वीरें भी साझा कीं।
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इससे पहले 4 जुलाई को विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मीडिया से बातचीत में इस मामले पर भारत के तटस्थ रुख को दोहराया था। उन्होंने कहा था कि भारत सरकार धार्मिक विश्वासों और परंपराओं से जुड़े मुद्दों पर कोई आधिकारिक रुख नहीं अपनाती और न ही उन पर टिप्पणी करती है। भारत हमेशा सभी के लिए धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन करता रहा है।