आज का संपादकीय (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: जब बांग्लादेश ने भारत से मांग की कि, वहां की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को बयानबाजी करने से रोका जाए तो विदेश मंत्रालय ने दिल्ली में बांग्लादेश के कार्यवाहक उच्चायुक्त को तलब कर बताया कि भारत बांग्लादेश के साथ रचनात्मक और परस्पर लाभदायी रिश्ते रखना चाहता है लेकिन बांग्लादेश के अधिकारी अपने बयानों से भारत की नकारात्मक छवि बना रहे हैं और अपने यहां की आंतरिक समस्याओं के लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
गत वर्ष अगस्त माह में शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़कर भागने और भारत आने के बाद से वहां का शासनतंत्र भारत विरोधी रवैया अपना रहा है. शेख हसीना को बांग्लादेश वापस भेजने का कोई सवाल ही नहीं उठता क्योंकि वह उस समय नियमित पासपोर्ट-वीजा पर भारत आई थीं. इस दौरान बांग्लादेश की पाकिस्तान से निकटता बढ़ती जा रही है. वहां के प्रशासक भूल गए कि किस तरह पाकिस्तानी सेना के दरिंदों ने बांग्लाभाषी महिलाओं पर भीषण अत्याचार किए थे और कितना भयंकर नरसंहार किया था. भारत ने 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान की गुलामी से मुक्ति दिलाई थी।
बांग्लादेश में अराजकता मची हुई है. गत सप्ताह अवामी लीग के नेताओं के घर जलाए गए और कई जिलों में बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के लगभग 50 पुतले तोड़े गए. मुजीब के धानमंडी निवास पर भीड़ ने हमला कर तोड़फोड़ की. अवामी लीग के 8 कार्यालयों में आग लगा दी गई. इसे देखते हुए शेख हसीना ने अपने समर्थकों से अंतरिम सरकार का मुकाबला करने को कहा जो अवैध तरीके से सत्ता में आई है. यह सरकार ही बांग्लादेश में हिंसा को बढ़ावा दे रही है. वहां के नए शासक समझते हैं कि हिंसा और बदले की भावना की बुनियाद पर वह नया बांग्लादेश बनाएंगे. ऐसी नकारात्मक सोच से बांग्लादेश में अस्थिरता व अराजकता और भी बढ़ेगी. वहां के उपद्रवी तत्व शेख हसीना की गैरमौजूदगी का फायदा उठाने में लगे हैं।
भारत सरकार अपने रवैये पर कायम है. बांग्लादेश के प्रशासक मोहम्मद यूनुस ने शेख हसीना को वापस सौंपने की मांग की है,इस बारे में भारत ने कोई आश्वासन नहीं दिया. हाल की हिंसा से पूरी तरह स्पष्ट हो गया कि हसीना को बांग्लादेश में निष्पक्ष न्याय कदापि नहीं मिल पाएगा. या तो उन्हें जेल में ठूंस दिया जाएगा या उनकी हत्या कर दी जाएगी।
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बांग्लादेश के निर्माण के समय से उसके अभिन्न मित्र रहे भारत को वहां के शासक जिस तरह आंखें दिखा रहे हैं, वह असहनीय है. उन्हें समझना चाहिए कि भारत और बांग्लादेश के बीच आर्थिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को जारी रखने में ही भलाई है. मोहम्मद यूनुस के प्रमुख सलाहकार महफूज आलम ने हाल ही में कहा कि अवामी लीग को चुनाव लड़ने नहीं दिया जाएगा. नोबल पुरस्कार विजेता यूनुस को ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे बांग्लादेश में शांति रहे तथा भारत से रिश्ते न बिगड़ने पाएं।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा