नए कृषि मंत्री दत्तात्रेय भरणे (pic credit; social media)
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में किसानों की तरह कृषि मंत्रालय की भी हालत खराब चल रही है। ऐसा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्ववाली महायुति सरकार के दो कृषि मंत्रियों के बयानों से स्पष्ट होने लगा है। विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान मंत्रालय में मोबाइल पर रमी (ताश) खेलने के कारण विवादों में घिरे पूर्व कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने कृषि मंत्रालय को उजाड़ गांव की जमीदारी बताया था तो वहीं उनकी जगह कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे नए कृषि मंत्री दत्तात्रेय भरणे भी खुश नहीं हैं। भरणे का कहना है कि खेल मंत्रालय ही अच्छा था। कृषि मंत्रालय में बहुत सिरदर्द है।
महाराष्ट्र की महायुति सरकार में शामिल राकां (अजित पवार) के अध्यक्ष तथा राज्य के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने अपनी पार्टी के नेता व पूर्व कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे को लगातार विवादों में घिरे रहने की वजह से मानसून सत्र के बाद कृषि मंत्रालय से हटा दिया था। पावर ने कोकाटे को खेल मंत्री बना दिया था तथा तत्कालीन खेल मंत्री दत्तात्रेय भरणे को कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंप दी थी।
कृषि विभाग की जिम्मेदारी मिलने के कुछ दिन बाद भरणे ने कहा था कि मैं मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्रियों का धन्यवाद करता हूं। उन्होंने मुझे राज्य के कृषि मंत्री का दायित्व सौंपा है। मैं एक किसान परिवार में जन्मा और पला-बढ़ा हूं और मैंने कृषि के हर पहलू का अनुभव किया है। इसलिए मैं किसानों के दुखों, कठिनाइयों और उम्मीदों को पूरे दिल से समझता हूं। अब मंत्री पद की जिम्मेदारी के जरिए मुझे उनके (किसानों के) न्याय, अधिकार और प्रगति के लिए काम करने का मौका मिला है।
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किसानों का सम्मान, टिकाऊ कृषि और ग्रामीण समृद्धि मेरा मुख्य उद्देश्य होगा। वे सरकार की नीतियों में किसानों की आवाज पहुंचाने का ईमानदारी से प्रयास करूंगा। लेकिन अब भरणे को आभास हो गया है कृषि मंत्री में उनकी राह इतनी आसान नहीं होगी। इसलिए भरणे खुल कर कहने लगे हैं कि खेल मंत्रालय ही अच्छा था।
इंदापुर तालुका के दगडवाडी में नीरा नदी के तट पर बाढ़ सुरक्षा दीवार बनाने के लिए भूमिपूजन समारोह आयोजित किया गया। उक्त कार्यक्रम में कृषि मंत्री भरणे ने कहा कि परसों मैं विदर्भ में था और कल मराठवाड़ा में था। कृषि मंत्रालय में मुझे थोड़ा ज्यादा भागदौड़ और घूमना-फिरना पड़ रहा है। जब मैं खेल और अल्पसंख्यक विभाग का मंत्री था, तब अच्छा था, कोई दिक्कत नहीं थी। लेकिन अब समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
मंच पर बयानबाजी के दौरान भरणे को जल्द ही अपने गलत बयान का एहसास हो गया। इसलिए उन्होंने बाद में कृषि मंत्रालय के दौरों के संबंध में दिए गए अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि वैसे यह कोई समस्या नहीं है, यह एक जिम्मेदारी है। हमारे नेताओं ने मुझ पर यह भरोसा जताया है।